नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में रविवार शाम को एक नया अध्याय जुड़ गया जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से ‘बाहुबली’ नामक LVM3-M5 रॉकेट पर भारतीय नौसेना के लिए अपने अब तक के सबसे भारी सीएमएस-03 (जीएसएटी-7आर) संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च करके इतिहास रचा। यह रॉकेट कई उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा, जिससे भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमता में और वृद्धि होगी।
CMS-03 (GSAT-7R) यह उपग्रह क्या है?
GSAT-7R एक संचार उपग्रह है यानी यह संचार का माध्यम बनेगा. यह पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह उपग्रह नौसेना के जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और समुद्री संचालन केंद्रों के बीच तेज और सुरक्षित संचार प्रदान करेगा।
उपग्रह की तकनीकी विशेषताएँ
वजन और आकार: 4400 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह है। पहले के सैटेलाइट इससे हल्के होते थे.
ट्रांसपोंडर: इस सैटेलाइट के अंदर संचार उपकरण हैं. ये विभिन्न बैंड (फ़्रीक्वेंसी रेंज) पर आवाज, डेटा और वीडियो लिंक का समर्थन करेंगे। यानी जहाज पर हो या हवा में, नौसेना के लोग आसानी से संवाद कर सकेंगे।
कवरेज क्षेत्र: यह हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत दूरसंचार कवरेज प्रदान करेगा। यानी हिंद महासागर के बड़े हिस्से में सिग्नल मजबूत रहेगा.
उच्च क्षमता बैंडविड्थ: यह सैटेलाइट ज्यादा डेटा ट्रांसफर करेगा. इससे जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और नियंत्रण केंद्रों के बीच एक सुरक्षित और निर्बाध संबंध बनेगा। इन सबके चलते नौसेना समुद्र में अपनी उपस्थिति और मजबूत करेगी. कोई भी खतरा उत्पन्न होने पर तुरंत सूचना मिल जाएगी।
देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम
आज के समय में समुद्री सुरक्षा की चुनौतियाँ बहुत बढ़ गई हैं। हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के कारण तनाव है। जीसैट-7आर नौसेना को अंतरिक्ष से निगरानी करने और तत्काल कार्रवाई करने की शक्ति देगा। नौसेना प्रमुख ने कहा है कि यह सैटेलाइट देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम है.
मजबूत संचार: पहले उपग्रहों के माध्यम से संचार सीमित था। अब यह तेज़ और सुरक्षित होगा.
बढ़ेगी निगरानी: समुद्री इलाके में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाएगा.
आत्मनिर्भरता: यह सैटेलाइट 100 फीसदी भारतीय तकनीक से बना है. इससे हम विदेशी उपग्रहों पर निर्भर नहीं रहेंगे.
पीएम मोदी और उपराष्ट्रपति ने दी बधाई
इसरो की इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने रविवार को इसरो वैज्ञानिकों को भारतीय धरती से सबसे भारी संचार उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर बधाई दी। इसरो द्वारा LVM-3 रॉकेट का उपयोग करके 4,410 किलोग्राम वजनी CMS-03 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करने के तुरंत बाद मोदी ने वैज्ञानिकों की प्रशंसा की।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र हमें लगातार गौरवान्वित कर रहा है! भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई।” उपग्रह को वांछित कक्षा में स्थापित करने के अलावा, इसरो वैज्ञानिकों ने उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के बाद सी-25 क्रायोजेनिक इंजन के ‘थ्रस्ट चैंबर’ के पुन: प्रज्वलन का भी प्रदर्शन किया। यह प्रयोग इसरो को क्रायोजेनिक चरण को फिर से शुरू करने में मदद करेगा और उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में रखने में लचीलापन प्रदान करेगा।
प्रधान मंत्री ने कहा, “यह सराहनीय है कि हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए धन्यवाद, हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र उत्कृष्टता और नवाचार का पर्याय बन गया है। उनकी सफलताओं ने राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाया है और अनगिनत लोगों को सशक्त बनाया है।”
उपग्रह प्रक्षेपण की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसरो अंतरिक्ष अन्वेषण में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। राधाकृष्णन ने कहा, “इसरो और भारतीय नौसेना को हार्दिक बधाई! भारत का शक्तिशाली LVM3-M5 रॉकेट GSAT-7R (CMS-03) के सफल प्रक्षेपण के साथ एक बार फिर आकाश में उड़ गया। यह भारतीय नौसेना के लिए सबसे भारी और सबसे उन्नत संचार उपग्रह है, जिसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में लॉन्च किया गया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “स्वदेश में विकसित यह उपग्रह हिंद महासागर क्षेत्र में अंतरिक्ष-आधारित संचार, कनेक्टिविटी और समुद्री डोमेन जागरूकता को मजबूत करेगा, जो आत्मनिर्भर भारत में एक और गौरवपूर्ण मील का पत्थर होगा।” इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी अगले पांच महीनों में सात लॉन्च मिशन आयोजित करने की योजना बना रही है।
भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीएमएस-03 उपग्रह भारत की समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा, यह एक उन्नत, सुरक्षित संचार चैनल प्रदान करेगा, जो हिंद महासागर क्षेत्र और मुख्य भूमि के लिए महत्वपूर्ण है।
भट्ट ने कहा, “इसरो द्वारा किया गया प्रक्षेपण न केवल हमारी रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करता है, बल्कि हमारे देश की अंतरिक्ष संपत्तियों के निर्माण और समर्थन में निजी उद्योग की भागीदारी के लिए एक जीवंत भविष्य का संकेत भी देता है, जिससे एक मजबूत अंतरिक्ष शक्ति के रूप में हमारी स्थिति मजबूत होती है।”



