नई दिल्ली। अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता वाले 16वें वित्त आयोग ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इस मौके पर पनगढ़िया के साथ आयोग के सदस्य ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, मनोज पांडा, टी. रबी शंकर और सौम्य कांति घोष और आयोग के सचिव ऋत्विक पांडे भी मौजूद थे. आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और उन्हें रिपोर्ट की एक प्रति सौंपी. ये सिफारिशें 2026-31 के लिए हैं.
राष्ट्रपति ने 31 दिसंबर 2023 को संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार 16वें वित्त आयोग का गठन किया। वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जिसका गठन हर पांच साल में किया जाता है। इसका मुख्य कार्य केंद्र और राज्य सरकारों के बीच करों और वित्तीय संसाधनों के वितरण की सिफारिश करना है। आयोग अपनी सिफारिशें तैयार करते समय सभी राज्यों और विशेषज्ञों से भी परामर्श करता है। इसकी सिफ़ारिशें बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन सरकारें बड़े पैमाने पर इसकी सिफ़ारिशों के आधार पर निर्णय लेती हैं।
सोलहवें वित्त आयोग ने अपने कार्यकाल के दौरान केंद्र और राज्यों के वित्त का विस्तार से विश्लेषण किया और केंद्र, राज्य सरकारों, विभिन्न स्तरों पर स्थानीय सरकारों, पिछले वित्त आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों, बहुपक्षीय संस्थानों, आयोग की सलाहकार परिषद और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा के बाद रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट दो खंडों में तैयार की गई है जिसमें खंड-1 में आयोग की सिफारिशें और खंड-2 में अनुलग्नक शामिल हैं। वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किये जाने के बाद यह रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करायी जायेगी.



