WATCH VIDEO: भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. उन्होंने स्वदेशी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम (MCPS) का सफल परीक्षण किया है. यह पैराशूट 32,000 फीट की ऊंचाई से जंप करने के लिए बनाया गया है और 30,000 फीट पर खुलता है. यह भारतीय सेना में इस्तेमाल होने वाला सबसे ऊंचाई वाला पैराशूट सिस्टम है. यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है. परीक्षण में विंग कमांडर विशाल लखेश, एमडब्ल्यूओ आर जे सिंह और एमडब्ल्यूओ विवेक तिवारी ने जंप किया. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जो बहादुरी और तकनीक का शानदार मिश्रण दिखाता है.
MCPS क्या है और क्यों खास है?
MCPS यानी मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम DRDO द्वारा पूरी तरह भारत में विकसित किया गया है. यह सैनिकों को युद्ध के दौरान ऊंचाई से सुरक्षित उतारने के लिए डिजाइन किया गया है. सामान्य पैराशूट से अलग, यह कॉम्बैटफ्रीफॉल जंप के लिए है, जहां सैनिक पहले कुछ सेकंड हवा में गिरते हैं फिर पैराशूट खोलते हैं. इसकी खासियत है कि यह 30,000 फीट पर खुल सकता है, जहां ऑक्सीजन कम होती है और ठंड बहुत ज्यादा. पहले भारत विदेशी पैराशूट पर निर्भर था, लेकिन अब यह स्वदेशी सिस्टम लागत कम करेगा और सेना को मजबूत बनाएगा. यह NavIC जैसे भारतीय सैटेलाइट सिस्टम से जुड़ा है, जिससे विदेशी हस्तक्षेप का खतरा नहीं.
परीक्षण कैसे हुआ?
परीक्षण में जांबाज टेस्ट जंपर्स ने विमान से 32,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई. वीडियो में दिखता है कि सैनिक ऑक्सीजन मास्क और स्पेशल सूट पहने हुए हैं. वे विमान के दरवाजे से बाहर कूदते हैं, कुछ सेकंड फ्रीफॉल करते हैं, फिर पैराशूट खुलता है. पैराशूट पर DRDO लिखा है और यह धीरे-धीरे नीचे उतरता है. वीडियो 1 मिनट से ज्यादा लंबा है, जिसमें पृथ्वी की गोलाई दिखती है, जो ऊंचाई की पुष्टि करती है.जंपर्स ने इसे सफलतापूर्वक पूरा किया, जो सिस्टम की विश्वसनीयता साबित करता है. इस ऊंचाई पर हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) और ठंड का खतरा होता है, लेकिन सिस्टम ने सब संभाला.
यहां देखें वीडियो
Achieving major milestone in critical defence technologies, Military Combat Parachute System (MCPS), indigenously developed by DRDO has successfully undergone a combat freefall jump from an altitude of 32,000 feet. The parachute system was deployed at an altitude of 30,000 ft,… pic.twitter.com/VPApxpYO3x
— DRDO (@DRDO_India) October 15, 2025
क्यों खास है यह सफलता?
यह टेस्ट भारत की रक्षा तकनीक में मील का पत्थर है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत DRDO अब हथियार, मिसाइल और पैराशूट जैसी चीजें खुद बना रहा है. इससे सेना की ऑपरेशनल इंडिपेंडेंस बढ़ेगी. युद्ध में सैनिक दुश्मन क्षेत्र में ऊंचाई से उतर सकेंगे बिना नोटिस हुए. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे सराहा है. एक यूजर ने कहा, यह लोहे का दिल चाहिए, जबकि दूसरे ने बजट बढ़ाने की मांग की. यह दिखाता है कि DRDO अगर ज्यादा फंडिंग मिले तो और चमत्कार कर सकता है. वैज्ञानिक रूप से, यह मानव शरीर की सीमाओं को चुनौती देता है, जहां 90 सेकंड में चेतना खो सकती है.
जांबाज जंपर्स की बहादुरी
विंग कमांडर विशाल लखेश, एमडब्ल्यूओ आर जे सिंह और विवेक तिवारी ने इस जंप को अंजाम दिया. वे भारतीय वायुसेना के अनुभवी सदस्य हैं. इतनी ऊंचाई पर जंप करना आसान नहीं, जहां तापमान माइनस 40 डिग्री तक हो सकता है. उनका वीडियो न सिर्फ तकनीक दिखाता है बल्कि उनकी हिम्मत भी. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें हीरो कह रहे हैं. एक कमेंट में लिखा गया, ये लोग इस ग्रह के नहीं लगते. यह सफलता DRDO और सेना के सहयोग का नतीजा है.
भविष्य की संभावनाएं क्या हैं?
MCPS अब भारतीय सेना में शामिल होगा, जो विशेष अभियानों में इस्तेमाल होगा. इससे भारत की रक्षा क्षमता बढ़ेगी और निर्यात का मौका मिलेगा. DRDO आगे और ऊंचाई वाले सिस्टम बना सकता है. यह युवाओं को विज्ञान और रक्षा क्षेत्र में प्रेरित करेगा. कुल मिलाकर, यह भारत की तकनीकी प्रगति का प्रतीक है.
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