Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दानापुर सीट का सियासी माहौल गर्म है. बीजेपी ने अपनी पहली उम्मीदवारों की सूची में 71 नामों में रामकृपाल यादव को दानापुर से उतारकर सबको चौंका दिया है. वर्तमान विधायक रीतलाल यादव अपने गढ़ को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं. दानापुर में वोटिंग 11 नवंबर को होगी और इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा होने की उम्मीद है.
नई पारी खेलने को तैयार हैं रामकृपाल, कैसा रहा है इतिहास
बीजेपी ने रामकृपाल जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता को मैदान में उतारकर साफ संदेश दिया है कि वह दानापुर में अपना कब्जा मजबूत करना चाहती है. रामकृपाल यादव ने 1985 में पटना नगर निगम के उप-महापौर के रूप में राजनीति में कदम रखा और 1992-93 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. 1993 में उपचुनाव जीतकर वह पहली बार 10वीं लोकसभा पहुंचे.
1996 में आरजेडी के टिकट पर जीत मिली, लेकिन 1998 और 1999 में हार का सामना करना पड़ा. 2004 में उन्होंने आरजेडी के टिकट पर सीपी ठाकुर को हराकर शानदार वापसी की. 2010 में राज्यसभा पहुंचे और 2014 में लालू यादव से मतभेद होने के बाद बीजेपी में शामिल हुए.
इसके बाद पाटलिपुत्र से 2014 और 2019 में मीसा भारती को हराया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में हार ने उनकी सियासी साख को झटका दिया. अब रामकृपाल यादव दानापुर से विधानसभा चुनाव में नई पारी खेलने को तैयार हैं.
रीतलाल यादव का रहा है दबदबा
दानापुर में बीजेपी और आरजेडी के बीच मुकाबला काफी रोचक होने वाला है. 2020 में रीतलाल यादव ने बीजेपी की आशा देवी को 15924 वोटों के अंतर से हराकर दानापुर में आरजेडी का दबदबा कायम किया. उनकी जीत यादव और मुस्लिम वोटरों की अहम भूमिका रही. पिछले पांच साल में रीतलाल यादव पर कई आरोप लगे हैं. उन पर हत्या, रंगदारी, जबरन वसूली और जमीन पर अवैध कब्जा का आरोप लगा है. हाल ही में एक बिल्डर से रंगदारी मांगने के मामले में उन्हें अदालत में आत्मसमर्पण करना पड़ा.
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दानापुर के मुख्य मुद्दे
इस विधानसभा के मुख्य मुद्दे में सड़क, बाढ़ नियंत्रण, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा हैं. बीजेपी के कार्यकर्ता केंद्र की योजनाओं और नीतीश कुमार के सुशासन सरकार का प्रचार कर रही है. आरजेडी जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय का मुद्दा उठा रही है. रामकृपाल यादव और रीतलाल यादव के बीच कांटे की टक्कर होना लगभग तय माना जा रहा है.
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