India Exports: अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से भारत पर 50% तक लगाए गए भारी टैरिफ की फिलहाल हवा निकल गई है. वैश्विक अनिश्चितताओं और व्यापारिक तनावों के बीच ट्रंप के टैरिफ के बाद भारत ने सितंबर में निर्यात के मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन किया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में देश का निर्यात 6.74 प्रतिशत बढ़कर 36.38 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह वृद्धि तब हुई है, जब कई बड़े देश खासकर अमेरिका आर्थिक दबावों से जूझ रहे हैं. वहीं, भारत के आयात में भी 16.6% की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 68.53 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जिससे देश का व्यापार घाटा 32.1 अरब डॉलर रहा. वहीं, प्रशासनिक रुकावट पैदा होने पर सरकारी विभागों में शटडाउन होने की वजह से अमेरिका महंगाई का आंकड़ा भी जारी नहीं कर पाया है.
पहली छमाही में भारत का कुल निर्यात 3.02% बढ़ा
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-सितंबर) के दौरान भारत का कुल निर्यात 3.02% बढ़कर 220.12 अरब डॉलर, जबकि आयात 4.53% बढ़कर 375.11 अरब डॉलर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक मांग में सुधार, रुपये की स्थिरता और सरकार की निर्यात प्रोत्साहन नीतियों ने इस वृद्धि को बल दिया है. सोना, चांदी, उर्वरक और इलेक्ट्रॉनिक्स के आयात में तेज़ी ने व्यापार घाटे को थोड़ा बढ़ाया, लेकिन कुल मिलाकर निर्यात प्रदर्शन मजबूत रहा है.
अमेरिका में शटडाउन से आर्थिक आंकड़े हुए प्रभावित
उधर, अमेरिका में प्रशासनिक गतिरोध और वित्तीय प्रावधानों की कमी के चलते कई सरकारी विभागों का कामकाज ठप हो गया है. इस ‘शटडाउन’ के कारण श्रम मंत्रालय सितंबर महीने का मुद्रास्फीति (महंगाई) डेटा जारी नहीं कर पाया, जो अब 24 अक्तूबर तक स्थगित कर दिया गया है.
महंगाई का आंकड़ा फेडरल रिजर्व के लिए जरूरी
महंगाई का आंकड़ा अमेरिकी फेडरल रिजर्व के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इससे सामाजिक सुरक्षा और दूसरे लाभकारी योजनाओं में वार्षिक समायोजन किया जाता है. फेडरल चेयरमैन जेरोम पावेल ने चेतावनी दी है कि अगर शटडाउन लंबा खिंचता है, तो रोजगार, महंगाई और आर्थिक वृद्धि से जुड़े आंकड़े जुटाना मुश्किल हो जाएगा.
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फेडरल रिजर्व को आंकड़ों और रिपोर्ट पर भरोसा
फिलहाल, अमेरिकी केंद्रीय बैंक निजी क्षेत्र के आंकड़ों और कंपनियों की रिपोर्ट पर भरोसा कर रहा है, लेकिन विश्वसनीय डेटा की कमी से आर्थिक नीति निर्धारण पर असर पड़ सकता है. अमेरिका में वर्तमान मुद्रास्फीति दर 2.9% पर है, जो फेड के 2% लक्ष्य से अधिक है. विश्लेषकों के अनुसार, यह स्थिति भारत के लिए अवसर साबित हो सकती है, क्योंकि अमेरिकी आर्थिक अनिश्चितता के बीच भारत का निर्यात प्रदर्शन वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ा रहा है.
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