Bihar News: बिहार के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी संजीव हंस को पटना हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. न्यायाधीश चंद्र प्रकाश सिंह की एकल पीठ ने गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार मामले में उन्हें जमामत दे दी है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें सशर्त जमानत दी गई है. शर्त यह है कि केस की सुनवाई के दौरान वह देश छोड़कर कहीं नहीं जा सकेंगे और वह कोर्ट में उपस्थित रहेंगे. अदालत के ऑर्डर के बाद अब आईएएस संजीव हंस के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है.
दर्ज मामले में कमियों का हवाला
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अदालत ने पाया कि दर्ज मामले में कई कमियां हैं. ऐसे में संजीव हंस को हिरासत में रखना उचित नहीं है. मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि जिस रूपसपुर थाना कांड संख्या–18/2023 पर ईडी की ईसीआईआर आधारित थी, उसे खुद अदालत ने अगस्त 2024 में रद्द कर दिया था. इसके बाद दर्ज ईसीआईआर केवल विजिलेंस प्राथमिकी पर आधारित है, जो कि अभी प्रारंभिक जांच के दायरे में है. अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जिससे वित्तीय लेन देन की जानकारी मिलती हो या अपराध से जमा किए गए धन के उपयोग का पता चलता हो.
एक साल से जेल में बंद हैं संजीव हंस
बता दें कि आईएएस संजीव हंस पिछले एक साल से जेल में हैं. अक्टूबर 2024 को ईडी ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति मामले में गिरफ्तार किया था. उसके बाद उन्हें पटना की बेऊर जेल में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था.
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आय से अधिक संपत्ति का आरोप
जानकारी के अनुसार, आईएएस संजीव हंस पर बिहार सरकार में विभिन्न पदों पर रहते हुए काली कमाई के माध्यम से आय से अधिक संपत्ति बनाने का आरोप है. बता दें कि इससे जुड़े मामले में पूर्व विधायक गुलाब यादव को भी ईडी ने गिरफ्तार किया था. पटना हाई कोर्ट से पिछले महीने उन्हें भी जमानत मिल चुकी है.
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