China warns US against Russia Oil Ban: तेल की राजनीति सिर्फ मध्यपूर्व तक ही सीमित है, तो अब इसमें चीन, अमेरिका और रूस भी पूरी तरह घुस चुके हैं. गुरुवार को चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी कि अगर वाशिंगटन रूस से तेल आयात के मामले में बीजिंग पर एकतरफा प्रतिबंध लगाता है, तो चीन “कड़े जवाबी कदम” उठाएगा. चीन ने अपने ऊर्जा व्यापार को वैध और कानूनी बताया और कहा कि अमेरिका की धमकियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को खतरे में डालती हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को कमजोर करती हैं. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में कहा कि चीन यूक्रेन संघर्ष पर वस्तुनिष्ठ और निष्पक्ष रुख अपनाता है और उसकी नीति “खुली और पारदर्शी” है.
लिन ने साफ किया कि हम अमेरिका द्वारा इस मुद्दे को चीन की ओर मोड़ने और अवैध एकतरफा प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हैं. अगर चीन के वैध अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचाया गया, तो हम अपनी संप्रभुता, विकास और सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए कड़े जवाबी कदम उठाएंगे.”
China warns US against Russia Oil Ban: ट्रंप की टिप्पणी और भारत का नाम
बीजिंग की चेतावनी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के एक दिन बाद आई. ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा. इसके बाद ट्रंप ने चीन से भी ऐसा करने का आग्रह किया. वाशिंगटन में संवाददाताओं से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “मोदी ने आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे. यह एक बड़ा कदम है. अब हमें चीन से भी ऐसा ही करवाना होगा.”
China warns US against Russia Oil Ban: चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार
सच तो यह है कि चीन रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है, और भारत उसके बाद आता है. ऊर्जा और स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) के अनुसार, चीन रूस के ऊर्जा निर्यात का लगभग 60% आयात करता है. यह चेतावनी सिर्फ तेल तक सीमित नहीं है. चीन ने हाल ही में दुर्लभ मृदा (Rare Earth Minerals) पर भी प्रतिबंध लगाए हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. खनन और प्रोसेसिंग में चीन का दबदबा पूरी दुनिया में स्पष्ट है.
अमेरिका और चीन के बीच तनाव
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चीन के इस कदम की आलोचना की और कहा कि चीन बाकी दुनिया के खिलाफ काम कर रहा है, और अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर जवाबी कार्रवाई करेगा. चीन का कहना है कि उनके दुर्लभ मृदा नियंत्रण अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप हैं और इसका उद्देश्य सैन्य दुरुपयोग रोकना है. तीखे शब्दों के बावजूद, चीन बातचीत के लिए खुला है. चीन के कॉमर्स मंत्रालय के प्रवक्ता ही योंगकियान ने कहा कि बीजिंग वाशिंगटन के साथ व्यापार संबंधी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करने के लिए तैयार है.
ये भी पढ़ें
1400 मौतों के लिए 1400 बार फांसी की मांग! बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना पर हत्या का आरोप
बुढ़ापा हारा, कुर्सी की चाह जीती! 92 की उम्र में सत्ता की भूख बरकरार, 8वीं बार राष्ट्रपति की रेस में



