Kali Puja 2025 Doe’s And Dont’s: दिवाली के अवसर पर जहां लोग मां लक्ष्मी की पूजा करके धन और समृद्धि की कामना करते हैं, वहीं इसी रात मां काली की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. वैदिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की रात को निशिता काल में मां काली की उपासना करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है. मां काली को शक्ति, साहस और निडरता की देवी कहा गया है. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, उसके जीवन से भय, दुख और संकट दूर हो जाते हैं.
काली पूजा कब है? (Kali Puja 2025 Date and Time)
- इस साल काली पूजा 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन की जाएगी.
- पूजा का शुभ निशिता काल मुहूर्त रात 11:18 बजे से 12:08 बजे (21 अक्टूबर) तक रहेगा — यानी कुल 50 मिनट का खास समय.
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:44 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025 को शाम 5:54 बजे
- इस समय मां काली की उपासना करना अत्यंत फलदायी माना गया है.
काली पूजा का महत्व
काली पूजा को पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इसे श्यामा पूजा भी कहा जाता है. जहां लक्ष्मी पूजा धन की देवी के लिए होती है, वहीं काली पूजा अंधकार और नकारात्मकता को समाप्त करने की प्रतीक मानी जाती है.
मां काली को “पापियों का संहार करने वाली देवी” कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति निशिता काल में देवी की पूजा करता है, उसके सारे दुख और संकट शीघ्र समाप्त हो जाते हैं.
काली पूजा में क्या करें
सच्चे मन से मां काली की पूजा करें
लाल फूल, गुड़, सिंदूर और काले चने का भोग लगाएं. भक्ति में मन लगाएं और किसी तरह की दिखावेबाज़ी न करें.
दीपक और धूप जलाएं
घर की उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में दीपक जलाएं. इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और नकारात्मकता खत्म होती है.
मंत्र जाप करें
“ॐ क्रीं कालीकायै नमः” मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और आत्मबल में वृद्धि होती है.
दान-पुण्य करें
किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या मिठाई का दान करें. यह मां काली को प्रसन्न करने का सबसे आसान और शुभ तरीका है.
रात में जागरण करें
काली पूजा की रात मां के भजन करें, ध्यान लगाएं और आध्यात्मिक साधना करें. इसे आत्मशक्ति जागरण की रात माना जाता है.
काली पूजा में क्या न करें
क्रोध या झगड़ा न करें
इस दिन मन में नकारात्मक विचार या किसी से बहस-तनाव से दूर रहें. मां काली शांति और संयम पसंद करती हैं.
मांस और शराब से परहेज करें
सात्त्विक भोजन करें और मांसाहार या मदिरा सेवन से बचें (सिद्ध परंपराओं को छोड़कर).
काले या गहरे कपड़े न पहनें
हल्के और साफ कपड़े पहनें. यह पूजा के लिए शुभ और पवित्र माना जाता है.
देवी के सामने झूठ या दिखावा न करें
मां काली सच्चाई की देवी हैं. झूठ बोलना या बनावट दिखाना उनके प्रति अपमान माना जाता है.
अशुद्ध अवस्था में पूजा न करें
बिना स्नान किए या अस्वच्छ वस्त्रों में पूजा करने से पूजा का फल अधूरा रहता है.
काली पूजा केवल डर या अंधकार की देवी की आराधना नहीं है, बल्कि आत्मशक्ति, साहस और निडरता का प्रतीक है. इस दिन अगर आप मां काली की पूजा पूरी श्रद्धा और सच्चाई के साथ करते हैं, तो न केवल भय और दुख दूर होते हैं, बल्कि जीवन में ऊर्जा, समृद्धि और आत्मविश्वास भी बढ़ता है.
काली पूजा की असली तारीख क्या है?
काली पूजा आमतौर पर अमावस्या की रात (विशेषकर कार्तिक अमावस्या, यानी दिवाली की रात) को की जाती है. इस साल काली पूजा 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन की जाएगी.
काली की पूजा कैसे की जाती है?
मां काली की पूजा रात में की जाती है, दीपक जलाकर, लाल फूल, सिंदूर, धूप, दीया और भोग अर्पित किया जाता है.
मां काली को भोग में क्या पसंद है?
मां काली को खीर, चावल, नारियल, केले, मिठाई और कभी-कभी लाल चावल व मसूर की दाल का भोग पसंद है.
मां काली का प्रिय रंग कौन सा है?
मां काली का प्रिय रंग लाल और काला माना जाता है.
मां काली की पूजा में कौन सा मंत्र जपते हैं?
मुख्य रूप से “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मंत्र का जप किया जाता है.



