FSSAI bans ORS: भारत में फूड प्रोडक्ट्स के नाम और लेबल को लेकर FSSAI ने एक नया और सख्त आदेश जारी किया है. अब किसी भी फूड कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स में “ORS” शब्द का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. इसका मकसद कंज्यूमर्स को गुमराह होने से बचाना और यह सुनिश्चित करना है कि फूड प्रोडक्ट्स के नाम पूरी तरह से सही और स्पष्ट हों.
FSSAI ने क्या कहा?
फूड सेफ्टी एण्ड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के फूड सेफ्टी कमिश्नरों और सेंट्रल लाइसेंसिंग अधिकारियों को आदेश दिया है कि सभी फूड कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स में “ORS” शब्द का इस्तेमाल बंद कर दे. यह नियम सिर्फ नाम के लिए ही नहीं, बल्कि सभी ट्रेडमार्क या ब्रांड के हिस्से के रूप में भी लागू होता है.
ORS क्यों हटाना जरूरी है?
FSSAI ने स्पष्ट किया है कि फलों वाले जूस, रेडी-टू-ड्रिंक ड्रिंक्स या नॉन-कार्बोनेटेड ड्रिंक में “ORS” का इस्तेमाल कंज्यूमर्स के बीच गलतफहमी पैदा करता है. लोग सोच सकते हैं कि ये WHO द्वारा सुझाए गए ORS (ओरल रिहाइड्रेशन साल्यूशन) की तरह हैं, जबकि असल में ये फूड प्रोडक्ट्स हैं. ऐसे नाम या लेबल से कंज्यूमर्स गुमराह होते हैं.
पहले क्या था नियम?
पहले FSSAI ने कुछ शर्तों के साथ “ORS” शब्द के इस्तेमाल की इजाजत दी थी. अगर यह किसी प्रोडक्ट के नाम के साथ प्रीफिक्स या सफिक्स में होता है और लेबल पर लिखा होता कि “यह WHO द्वारा सुझाए गए ORS फॉर्मूला नहीं है”, तो ये ठीक था.
अब क्या बदल गया?
FSSAI ने अब साफ किया है कि कोई भी फूड प्रोडक्ट ORS शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. यह फूड सेफ्टी एण्ड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के खिलाफ है. ऐसे प्रोडक्ट्स को गलत नाम और कंज्यूमर्स को गुमराह करने वाला प्रोडक्ट माना जाएगा. इसका उल्लंघन करने पर कड़ी सजा भी हो सकती है.
आगे क्या करना है?
सभी फूड कंपनियों को तुरंत अपने प्रोडक्ट्स में इससे संबंधित बदलाव करने होंगे. संबंधित अधिकारी इस बात का ध्यान रखेंगे कि नियम का सही से पालन हो और किसी भी प्रकार का उल्लंघन होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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