नई दिल्ली, अमृत विचार। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि पुलिस और सुरक्षा बलों के अथक प्रयासों से भारत में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की समस्या जल्द ही इतिहास बन जाएगी। वह पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर संबोधित कर रहे थे. उन्होंने मध्य दिल्ली के चाणक्यपुरी में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और सलामी ली।
पुलिसकर्मियों को अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा, नक्सलियों के खिलाफ अभियान की सफलता का आकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि कभी सरकार के खिलाफ हथियार उठाने वाले नक्सली आज आत्मसमर्पण कर रहे हैं और खुद को विकास की मुख्यधारा में शामिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, सुरक्षा बलों के अथक प्रयासों से यह समस्या अब इतिहास बनने की कगार पर है. इसके लिए हमारे सभी सुरक्षाकर्मी बधाई के पात्र हैं। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि मार्च 2026 तक भारत में नक्सलवाद की समस्या खत्म हो जाएगी. रक्षा मंत्री ने कहा, नक्सलवाद लंबे समय से हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए एक समस्या रही है. एक समय था जब छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कई जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे। गांवों में स्कूल बंद थे, सड़कें नहीं थीं और लोग डर के साये में जी रहे थे. उन्होंने कहा, हमने संकल्प लिया है कि इस समस्या को आगे नहीं बढ़ने देंगे. हमारी पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर जिस तरह संगठित तरीके से काम किया, वह प्रशंसनीय है।
उन्होंने कहा कि जो इलाके कभी नक्सलियों के गढ़ थे, वे अब शिक्षा के गढ़ बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत के वे हिस्से जो कभी लाल गलियारे के नाम से कुख्यात थे, वे अब विकास गलियारे में बदल गये हैं। सिंह ने कहा कि सरकार इस तरह के बदलाव लाने में सक्षम है और पुलिस और सुरक्षा बलों ने ऐसा करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रक्षा मंत्री ने पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए मोदी सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे संसाधनों और बजट के बारे में भी बात की. इन सीमित संसाधनों के अधिकतम उपयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए सिंह ने कहा कि इसे विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय और एकीकरण के माध्यम से हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पुलिस को न सिर्फ अपराध से लड़ना है बल्कि भ्रांतियों से भी लड़ना है. पुलिस स्मृति दिवस हर साल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवानों की याद में मनाया जाता है, जो 1959 में इसी दिन लद्दाख के हॉट स्प्रिंग इलाके में चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में शहीद हो गये थे।