लक्जरी घड़ी: भारत में लग्जरी घड़ियों का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। ये लग्जरी घड़ियां बाजार में पारंपरिक घड़ियों को मात देने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। एसओआईसी रिसर्च की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत का लक्जरी घड़ी बाजार मजबूत विस्तार के लिए तैयार है। रिपोर्ट का अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में यह खंड 11-12% की वार्षिक दर से बढ़ेगा। यह वृद्धि देश के बढ़ते समृद्ध उपभोक्ता वर्ग, धनी व्यक्तियों और अत्यधिक उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों के तेजी से विस्तार के कारण हो रही है।
दौलत और चाहत बढ़ने से बाजार को मिली मजबूती
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में तेजी से बढ़ती संपन्नता, बदलती सांस्कृतिक प्राथमिकताएं और आधुनिक जीवनशैली के कारण लग्जरी घड़ियों की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत अब वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ते लक्जरी घड़ी बाजारों में से एक बन गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत निश्चित रूप से सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक होगा, जिसमें लक्जरी घड़ियों की प्रति वर्ष 11-12% की वृद्धि दर होगी।”
एचएनआई और यूएचएनआई का बढ़ता नेटवर्क
भारत में अमीर और अत्यधिक अमीर लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जैसे-जैसे यह वर्ग बढ़ रहा है, उनकी जीवनशैली में विलासिता की वस्तुओं की मांग भी बढ़ रही है। लक्जरी घड़ियाँ न केवल समय बताने का साधन हैं, बल्कि सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा का प्रतीक भी बन गई हैं।
ढांचागत बदलाव से ताकत मिल रही है
कई संरचनात्मक कारक भी लक्जरी घड़ी बाजार की इस वृद्धि का समर्थन कर रहे हैं। इनमें प्रति व्यक्ति आय में तेजी से वृद्धि, तेजी से शहरीकरण, उपभोक्ताओं की इच्छाएं और लक्जरी ब्रांडों की बढ़ती उपलब्धता शामिल हैं। इसके साथ ही सेलिब्रिटी विज्ञापन, कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या और प्रीमियम उत्पादों के प्रति युवा उपभोक्ताओं के रुझान ने बाजार में नई ऊर्जा का संचार किया है।
प्रीमियम घड़ियों की ओर बढ़ रहा रुझान
रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय उपभोक्ता अब एंट्री-लेवल फैशन घड़ियों से हटकर हाई-एंड और अल्ट्रा-लक्जरी घड़ियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। वित्त वर्ष 2020 में जहां लग्जरी और हाई-एंड घड़ियों की बिक्री का हिस्सा 48% था, वहीं वित्त वर्ष 2025 में यह बढ़कर 70% हो गया है। इस प्रवृत्ति से पता चलता है कि भारतीय उपभोक्ता अब गुणवत्ता, डिजाइन और ब्रांड वैल्यू के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं।
औसत विक्रय मूल्य में दोगुनी वृद्धि
रिपोर्ट में लक्जरी घड़ियों की औसत बिक्री मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि का खुलासा किया गया है। जहां वित्त वर्ष 2020 में औसत बिक्री लगभग 84,000 रुपये थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 2.04 लाख रुपये हो जाएगी। यह आंकड़ा बाजार की मजबूत मूल्य निर्धारण शक्ति और उपभोक्ताओं की प्रीमियम उत्पादों के लिए बढ़ती प्राथमिकता दोनों को दर्शाता है।
कीमतें लगातार बढ़ रही हैं
लक्जरी घड़ियों की औसत कीमतें हर साल लगातार बढ़ रही हैं।
वित्त वर्ष 2020-21: 1.10 लाख रुपये
वित्त वर्ष 2021-22: 1.49 लाख रुपये
वित्त वर्ष 2022-23: 1.59 लाख रुपये
वित्त वर्ष 2023-24: 1.90 लाख रुपये
सेलिब्रिटी और डिजिटल मीडिया का प्रभाव
सेलिब्रिटी प्रमोशन और डिजिटल मार्केटिंग ने भी भारतीय बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बॉलीवुड और खेल जगत के सितारों द्वारा पहनी जाने वाली ब्रांडेड घड़ियाँ उपभोक्ताओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन रही हैं। इसके अतिरिक्त, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ब्रांड-विशिष्ट ऑनलाइन बुटीक ने पहुंच और बिक्री दोनों को बढ़ावा दिया है।
टियर-2 शहरों में लग्जरी घड़ियों का क्रेज बढ़ रहा है
दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों के साथ-साथ जयपुर, लुधियाना, इंदौर और कोयंबटूर जैसे टियर-2 शहरों में भी लग्जरी घड़ियों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। यह बदलाव दर्शाता है कि भारत में विलासिता की संस्कृति अब बड़े शहरों से बाहर भी फैल रही है।
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भारत एशिया का उभरता हुआ लक्जरी केंद्र बन रहा है
SOIC की रिपोर्ट से साफ है कि भारत आने वाले सालों में एशिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला लग्जरी घड़ी बाजार बन सकता है। बढ़ती संपन्नता, उपभोक्ता जागरूकता और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की मजबूत उपस्थिति इस विकास को नई दिशा दे रही है। भारत का लक्जरी घड़ी बाजार अब केवल “समय देखने” का माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि प्रतिष्ठा, सफलता और व्यक्तित्व का प्रतीक बन गया है।
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