शादी का मतलब है ढेर सारी सजावट, महंगे कपड़े, महंगे आभूषण, भारी मेकअप, नाच-गाना और खूब धूम-धड़ाका। आजकल शादियों का आम नजारा कुछ ऐसा ही दिखता है. लेकिन क्या इस चमक के पीछे कुछ फीके चेहरे भी हैं? क्या हमें कभी यह ख्याल आया कि जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं उनके लिए ऐसी शादियां कितनी मुश्किल साबित होंगी?
इसी विचार को केंद्र में रखकर उत्तराखंड के कुछ गांवों ने बेहद अनोखा फैसला लिया है। सामाजिक समानता बनाए रखने और आर्थिक भेदभाव से दूर रहने के लिए यहां के लोगों ने फैसला किया है कि अब वे अपनी शादियों में शराब, फास्ट फूड और महंगे उपहारों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएंगे। इसके साथ ही महिलाएं सिर्फ तीन पारंपरिक आभूषण पहनकर ही शादी में शामिल होंगी. इन सभी नियमों का पालन न करने पर एक लाख का जुर्माना लगाने और सामूहिक बहिष्कार का भी फैसला लिया गया है.
उत्तराखंड के गांवों में शादियों को लेकर लिया गया अनोखा फैसला!
शादी समारोह हर किसी के लिए खुशी का कारण बने…किसी पर कोई बोझ न हो और न ही किसी की खुशी कम या ज्यादा हो। इसी नेक सोच को केंद्र में रखते हुए उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र के 25 गांवों ने एक अभूतपूर्व निर्णय लिया है। यहां के ग्रामीणों ने शादी और अन्य मांगलिक कार्यक्रमों के दौरान महंगे उपहार, अंग्रेजी शराब और फास्ट फूड पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा, महिलाओं को केवल तीन पारंपरिक सोने के आभूषण नाक की अंगूठी (फुली), झुमके (बुंदे) और मंगलसूत्र पहनने की अनुमति होगी। यह कदम आडंबर और अनुष्ठानों के अत्यधिक खर्च को कम करने की दिशा में उठाया गया है।
नियमों का पालन न करने पर जुर्माना और सामाजिक बहिष्कार
पंचायत सदस्यों ने साफ कहा है कि अब शादियों में सिर्फ पारंपरिक खाना ही परोसा जाएगा और शराब या फास्ट फूड जैसी चीजों पर प्रतिबंध रहेगा. नियमों का उल्लंघन करने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और आयोजन का सामूहिक बहिष्कार भी किया जाएगा. उनका कहना है कि यह कदम न केवल अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने का प्रयास है, बल्कि पारंपरिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का भी प्रयास है। आपको बता दें कि हाल के वर्षों में उत्तरकाशी के मत्ती गांव की तरह उत्तराखंड के कुछ अन्य गांवों में भी शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन जौनसार-बावर का यह कदम व्यापक और बहुआयामी है और अब लोग इसकी खूब सराहना कर रहे हैं.



