कानपुर, अमृत विचार। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन वर्तमान में कानपुर शहर में 19,625 टीबी मरीज हैं और वर्ष 2025 खत्म होने में दो महीने बाकी हैं। ऐसे में अगर आंकड़ों में हेरफेर न हो तो स्वास्थ्य विभाग के लिए इस चुनौती से निपटना नामुमकिन लगता है.
जबकि स्वास्थ्य विभाग राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम को बेहतर तरीके से चलाने, पोषण पैकेज उपलब्ध कराने और सटीक इलाज मुहैया कराने का दावा कर रहा है. जिले में इस समय 19,652 टीबी और करीब 500 एमडीआर मरीज हैं, जिनके लिए इस साल यानी 31 दिसंबर 2025 तक टीबी से जंग जीतना मुश्किल है।
यदि ये सभी मरीज टीबी से जंग नहीं जीत पाए तो भारत सरकार का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में लक्ष्य हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और अधिकारियों से टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें पोषण पोटली उपलब्ध कराने की अपील कर रहा है. ताकि वह पौष्टिक आहार खाकर जल्द स्वस्थ हो सकें।
सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया गया है और लोगों को टीबी से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है। टीबी मरीजों को पोषण, आहार और दवा आदि के संबंध में समय-समय पर जानकारी दी जा रही है।
ताकि वह जल्द से जल्द ठीक हो सकें. अब 14000 टीबी मरीजों को पोषण पैकेट वितरित किये जा चुके हैं। वहीं, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन अभियान के तहत सक्रिय रूप से टीबी के नए लक्षण वाले लोगों की पहचान कर उनका तुरंत परीक्षण किया जा रहा है। वर्ष 2025 तक जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है।
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के सूचकांक में कमी
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रशासनिक अधिकारी ने टीबी टास्क फोर्स सह टीबी संचालन समिति की बैठक की, जिसमें सीडीओ दीक्षा ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम से संबंधित सभी सूचकांकों की समीक्षा की, कुछ सूचकांकों में कमी पाई गई, जिसे सुधारने के लिए उन्होंने अन्य विभागों के अधिकारियों व प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय बनाकर अपने क्षेत्रों में पूर्ण सहयोग देने का निर्देश दिया. ताकि वर्ष 2025 तक जिले को टीबी मुक्त बनाने में सफलता मिल सके।
ये हैं प्रमुख सूचकांक
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) सूचकांकों में निम्नलिखित निदान और उपचार सूचकांक शामिल हैं, जिनमें निदान किए गए टीबी रोगियों की संख्या, दवा प्रतिरोधी टीबी मामलों का पता लगाना और उपचार की सफलता दर शामिल हैं। जबकि सामुदायिक भागीदारी सूचकांक में निक्षय मित्र पहल में समुदाय के सदस्यों की भागीदारी शामिल है, जागरूकता सूचकांक में सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों का प्रभाव और टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर को कम करने में कार्यक्रम की प्रगति आदि शामिल है।