भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर को दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. अदालत ने गौतम गंभीर, उनकी पत्नी, मां और उनके फाउंडेशन के खिलाफ कथित अवैध खरीद और कोविड-19 दवाओं के वितरण के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को पूरी तरह से रद्द कर दिया। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसला सुनाते हुए कहा, आपराधिक शिकायत खारिज की जाती है। तीन साल बाद गौतम गंभीर को इस केस से राहत मिल गई है.
क्या है पूरा मामला?
2021 में कोविड की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने गंभीर, उनके फाउंडेशन और परिवार के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि फाउंडेशन ने बिना वैध लाइसेंस के कोविड दवाओं का भंडारण और वितरण किया था।
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 18(सी) और 27(बी)(ii) के तहत, बिना लाइसेंस के दवाओं को रखना और वितरित करना अपराध है। इसमें तीन से पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. गंभीर और उनकी पत्नी-मां (ट्रस्टी) के साथ फाउंडेशन की सीईओ अपराजिता सिंह को ट्रायल कोर्ट ने तलब किया था और सितंबर 2021 में हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। अदालत ने अप्रैल 2024 में यह रोक हटा दी।
गौतम गंभीर ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा
इसके बाद गंभीर और फाउंडेशन ने आदेश को चुनौती देते हुए एक नया आवेदन दायर किया। औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से दलील दी गई कि गंभीर ने सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जबकि उन्हें पहले सेशन कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर करनी चाहिए थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने महामारी के दौरान दवाएं नहीं बेचीं, बल्कि सार्वजनिक सेवा के लिए उन्हें मुफ्त में वितरित किया, इसलिए व्यवसाय करने या लाभ कमाने का आरोप उन पर लागू नहीं होता है।



