सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस 24 नवंबर को पड़ता है। कई उत्तरी राज्यों में भी सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में प्रशासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 नवंबर को छुट्टी की घोषणा की थी लेकिन अब छुट्टी की तारीख में संशोधन किया गया है.
आपको बता दें कि योगी सरकार ने अब 25 नवंबर मंगलवार को छुट्टी घोषित कर दी है. इस दिन पूरे राज्य में स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय और अन्य सरकारी संस्थान बंद रहेंगे. इस संबंध में प्रमुख सचिव मनीष चौहान की ओर से पत्र जारी किया गया है. जबकि अन्य राज्यों में 24 नवंबर को ही छुट्टी रहेगी.
25 नवंबर को अवकाश क्यों घोषित किया गया?
दरअसल, हर साल 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर की शहादत को याद किया जाता है. इस दिन लाखों श्रद्धालु गुरु के बलिदान को नमन करने के लिए दिल्ली के गुरुद्वारा शीशगंज साहिब पहुंचते हैं। इस ऐतिहासिक घटना का सम्मान करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अब वर्ष 2025 में 25 नवम्बर को अवकाश को मान्यता दे दी है, ताकि शहीदी दिवस से सम्बन्धित धार्मिक कार्यक्रम सुचारु रूप से संचालित किये जा सकें।
गुरु तेग बहादुर को मिली ‘हिंद की चादर’ की उपाधि
सिख धर्म के 10 गुरुओं में से नौवें गुरु तेग बहादुर की मृत्यु आज ही के दिन यानी 24 नवंबर को साल 1675 में हुई थी। मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें उनके जीवन के बदले में अपना धर्म छोड़ने और इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने खुशी-खुशी मरना चुना। औरंगजेब को यह बिल्कुल भी मंजूर नहीं था कि कोई उसके आदेशों की अवहेलना करे। उन्होंने 24 नवंबर 1675 को दिल्ली के लाल किले के सामने चांदनी चौक में गुरु तेग बहादुर का सिर कलम कर दिया था। इसलिए इस दिन को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है और उनकी शहादत को याद किया जाता है।
धैर्य, त्याग और बलिदान की मूर्ति गुरु तेग बहादुर ने 20 वर्षों तक तपस्या की थी। गुरु नानक के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए उन्होंने देश भर में कश्मीर और असम जैसे स्थानों की व्यापक यात्रा की। अंधविश्वासों की आलोचना की और समाज में नये आदर्श स्थापित किये। गुरु तेग बहादुर ने आस्था, विश्वास और सत्ता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी शहादत दुनिया में मानव अधिकारियों के लिए पहली शहादत मानी जाती है, इसलिए उन्हें सम्मानपूर्वक ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है।



