प्रयागराज. सितंबर 2025 के बरेली हिंसा मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. इस मामले में पुलिस पर भीड़ द्वारा ईंट, पत्थर, एसिड की बोतलें और गोलियों से हमला करने के गंभीर आरोप लगे हैं.
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस बल पर हमला राज्य के अधिकार और कानून के शासन पर सीधा हमला है. अदालत को यह भी बताया गया कि मौलाना तौकीर राजा की अपील पर भीड़ जमा हुई और पुलिस की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए उन पर तेजाब की बोतलें, ईंट-पत्थर और गोलियां चलाई गईं.
न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता अदनान को अन्य कानूनी उपाय अपनाने की छूट दे दी. मामले के अनुसार, 26 सितंबर 2025 को बीएनएसएस, 2023 की धारा 163 के तहत लगाए गए निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए ढाई सौ लोग मौलाना आजाद इंटर कॉलेज से श्यामगंज चौराहे की ओर बढ़े।
भड़काऊ नारे लगा रही भीड़ ने पुलिस को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और हमले में दो पुलिस अधिकारी घायल हो गए. उनके कपड़े फाड़ दिए गए और इलाके में दहशत का माहौल पैदा हो गया. अत: पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलायी।
याचिकाकर्ता के खिलाफ थाना बारादरी, बरेली में बीएनएस, 2023 की विभिन्न धाराओं सहित कई गंभीर आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया गया था। अंत में, अदालत ने एफआईआर को रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया और याचिका का निपटारा कर दिया और याचिकाकर्ता को सक्षम अदालत में कानूनी उपचार लेने की अनुमति दी।



