राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राजमार्गों से 50 मीटर के दायरे में स्थापित की जा रही शराब की दुकानों को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, मध्य प्रदेश के उत्पाद शुल्क आयुक्त और उत्पाद शुल्क सचिव को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
दरअसल, भोपाल निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राशिद नूर खान ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानें खुलेआम चल रही हैं, जो आदेश का उल्लंघन है. अपनी बात को साबित करने के लिए याचिकाकर्ता ने याचिका के साथ शराब की दुकानों की तस्वीरें और दस्तावेज भी संलग्न किए हैं.
ये सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं
याचिकाकर्ता के वकील आर्यन उरमलिया ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी शराब की दुकान राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से 500 मीटर की दूरी के भीतर संचालित नहीं होनी चाहिए, न ही यह राजमार्ग से दिखाई देनी चाहिए और न ही इसका सीधा रास्ता होना चाहिए. केंद्र सरकार ने 1 जून 2017 को इस आशय का सर्कुलर जारी किया था. फिर भी, मध्य प्रदेश में 2025-26 की नई आबकारी नीति में, कई दुकानों का नवीनीकरण किया गया है और राजमार्गों के पास नई दुकानें आवंटित की गई हैं।
याचिकाकर्ता ने दुकानें हटाने की मांग की
याचिका में कहा गया है कि राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानें होने के कारण ट्रक चालक और अन्य यात्री शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं बढ़ती हैं और लोगों की जान जा रही है. यह संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 47 का भी उल्लंघन है, इन शराब की दुकानों को हटाया जाना चाहिए।
नोटिस जारी, दो सप्ताह में मांगा जवाब
जनहित याचिका की सुनवाई मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने की। याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए डबल बेंच ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मध्य प्रदेश के एक्साइज कमिश्नर और एक्साइज सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट



