हैदराबाद/रायपुर. आंध्र प्रदेश में कुख्यात नक्सली और सेंट्रल कमेटी सदस्य माड़वी हिडमा की मुठभेड़ में मौत के बाद इस मामले पर नया विवाद खड़ा हो गया है. नक्सलियों ने आंध्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हिडमा की मौत मुठभेड़ में नहीं बल्कि हिरासत में यातना के बाद हुई है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) न्यू डेमोक्रेसी ने गुरुवार को एक प्रेस नोट जारी कर केंद्र सरकार और आंध्र प्रदेश पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सूर्यम ने दावा किया है कि हिडमा की मौत मुठभेड़ में नहीं हुई, बल्कि उसे जिंदा पकड़ा गया, पूछताछ के दौरान प्रताड़ित किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई. विज्ञप्ति के अनुसार, सूर्यम ने कहा कि सरकारी एजेंसियों ने ”फर्जी मुठभेड़” का सहारा लिया और हिडमा की मौत को मुठभेड़ बताया, जबकि हकीकत इसके बिल्कुल उलट है. उन्होंने आरोप लगाया कि हिडमा को पकड़ने के बाद उससे पूछताछ की गई और कथित तौर पर उसे अमानवीय यातनाएं दी गईं.
आरोप है कि उनकी मौत के बाद उनके शव को पूर्वी गोदावरी के जंगलों में छोड़ दिया गया, ताकि घटना को मुठभेड़ का रूप दिया जा सके. सीपीआई (एमएल) न्यू डेमोक्रेसी ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की है. पार्टी का कहना है कि अगर निष्पक्ष जांच हो तो ”सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघन के मामले उजागर हो जाएंगे.”
प्रेस नोट में एक और बड़ा दावा यह किया गया है कि केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम) थेपेरी तिरूपति उर्फ देवजी समेत कई शीर्ष नक्सली नेताओं को कथित तौर पर गुप्त रूप से गिरफ्तार किया गया है। संगठन का आरोप है कि इन नेताओं को हिरासत में भी प्रताड़ित किया जा रहा है और सरकार इन गिरफ्तारियों को सार्वजनिक नहीं कर रही है.



