कर्नाटक के पुरा गांव में स्थित श्री सोमेश्वर स्वामी मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और 1000 से अधिक शिवलिंगों के लिए प्रसिद्ध है। यहां भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए घूमते हुए शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं। मंदिर में होयसल शैली की नक्काशी, संकरी गलियां और प्राचीन वास्तुकला इसे अद्भुत बनाती है।
प्रकाशित तिथि: गुरु, 20 नवंबर 2025 03:10:25 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: गुरु, 20 नवंबर 2025 03:10:25 अपराह्न (IST)
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- मंदिर में 1000 से अधिक शिवलिंग स्थापित हैं।
- भक्तगण शिवलिंग की परिक्रमा करने से अपनी मनोकामना पूर्ण मानते हैं।
- होयसल शैली की प्राचीन नक्काशी देखने को मिलती है।
धर्म डेस्क. दक्षिण भारत अपने रहस्यमयी और प्राचीन मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। कर्नाटक के पुरा गांव में स्थित श्री सोमेश्वर स्वामी मंदिर अपनी अनूठी परंपरा और अद्भुत वास्तुकला के कारण विशेष पहचान रखता है।
यहां हजारों की संख्या में शिवलिंग मौजूद हैं। श्रद्धालु यहां शिवलिंग की परिक्रमा कर अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं, जो देश में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।
1000 शिवलिंगों से घिरा दिव्य परिसर
कुश्तगी तालुका के पास स्थित यह प्राचीन मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है। मंदिर में एक-दो नहीं, बल्कि 1000 से ज्यादा शिवलिंग कतार में स्थापित हैं। संपूर्ण परिसर शिव की ऊर्जा से परिपूर्ण प्रतीत होता है। यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर में प्रवेश करते ही उन्हें अद्भुत आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
मनोकामना पूर्ति की अनूठी परंपरा
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता मुख्य प्रवेश द्वार के पास स्थित एक छोटा सा शिवलिंग है, जो एक स्तंभ पर रखा गया है। इसे चारों दिशाओं में घुमाया जा सकता है. मान्यता है कि इस शिवलिंग को एक बार में पूरा घुमाने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। भक्त सबसे पहले शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं, लेकिन अपनी मनोकामना भगवान शिव के सामने रखते हैं। यही परंपरा इस मंदिर को देशभर के शिव मंदिरों में सबसे अनोखा बनाती है।
होयसल शैली और प्राचीन नक्काशी की झलक
स्थानीय लोग इसे ‘कोटिलिंगा मंदिर’ भी कहते हैं। मंदिर में नंदी पर सवार भगवान सोमेश्वर की आकर्षक मूर्ति, दीवारों पर शिवलिंग, विष्णु और उमा-महेश्वर की प्राचीन नक्काशी देखी जा सकती है। संकरी गलियां और धनुषाकार प्रवेश द्वार 11वीं शताब्दी की होयसला कला की याद दिलाते हैं।
अध्यात्म और इतिहास का संगम
मुख्य गर्भगृह में मौजूद भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इसे देश के एकमात्र ऐसे मंदिर के रूप में मान्यता प्राप्त है, जहां मंदिर के हर कोने में शिवलिंग स्थापित हैं, लेकिन केवल मुख्य शिवलिंग की ही पूजा की जाती है। श्री सोमेश्वर स्वामी मंदिर आस्था का केंद्र है। यह कर्नाटक की संस्कृति, परंपरा और इतिहास का जीवंत प्रतीक भी है।



