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Thursday, November 20, 2025
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मृत व्यक्ति की ‘आत्मा’ लेने ढोल-नगाड़े लेकर पहुंचे परिजन, पुजारी भी रहे मौजूद, एक घंटे हुई प्रार्थना, मध्य प्रदेश का मामला


रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में बुधवार को एक अजीब नजारा देखने को मिला, जब एक मृत व्यक्ति की ‘आत्मा’ लेने के लिए दर्जनों ग्रामीण ढोल-नगाड़ों के साथ पहुंचे. इस घटना से अस्पताल स्टाफ और वहां मौजूद लोग हैरान रह गए.

मामला छावनी झोड़िया गांव का है, जहां के रहने वाले शांतिलाल नाम के शख्स की कुछ दिन पहले कीटनाशक पीने से मौत हो गई थी. उन्हें इलाज के लिए इस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई. बुधवार को उनके परिजन, पुजारी और गांव के अन्य लोग उनकी आत्मा लेने के लिए अस्पताल के मुख्य द्वार पर एकत्र हुए.

अस्पताल के बाहर पूजा हुई

जब सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अस्पताल के अंदर जाने से रोका तो उन्होंने परिसर के बाहर वार्ड के सामने अनुष्ठान शुरू कर दिया. परिवार ने पूरे अनुष्ठान के साथ पूजा की और कथित तौर पर आत्मा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया। करीब एक घंटे तक चले इस घटनाक्रम के बाद वह ढोल बजाते हुए आत्मा को लेकर गांव के लिए रवाना हो गया।

‘यह हमारी परंपरा है’

मृतक भूरालाल के परिजनों ने बताया कि यह उनकी सामुदायिक परंपरा का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने घर से बाहर मरता है उसकी आत्मा को अनुष्ठान करके वहीं से वापस लाया जाता है।

“हमारे परिवार के शांतिलाल की मृत्यु यहीं हुई थी। हमारी परंपरा है कि जहां किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसकी आत्मा को सम्मान और सम्मान के साथ ले जाया जाता है। इसके बाद गांव में उनकी ‘गादिया’ (प्रतिमा) स्थापित की जाएगी।” -भूरालाल, परिजन

इस परंपरा के तहत गांव में मृतक की मूर्ति स्थापित की जाती है, जिसके लिए आत्मा को लाना जरूरी माना जाता है।

अंधविश्वास पर शिक्षा कितनी भारी?

हालाँकि, आदिवासी समाज में काम करने वाले कई सामाजिक कार्यकर्ता और जागरूक युवा ऐसी प्रथाओं से सहमत नहीं हैं। उनका मानना ​​है कि यह एक अंधविश्वास है, जिसे शिक्षा के जरिये खत्म किया जा सकता है.

इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अभय ओहरी ने कहा, “जैसे-जैसे आदिवासी समाज में शिक्षा का स्तर सुधर रहा है, अंधविश्वास कम हो रहा है. हम समाज में ऐसी कुरीतियों के प्रति जागरूकता लाने की कोशिश कर रहे हैं.”

रतलाम मेडिकल कॉलेज में करीब एक घंटे तक चले इस घटनाक्रम पर प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अशिक्षा के कारण आदिवासी इलाकों में अंधविश्वास गहरा गया है, जिसके कारण तंत्र-मंत्र और बच्चों को गर्म सलाखों से दागने जैसी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं.

वीडियो देखें, परिवार ने क्या कहा सुनिए

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