पंकज कुमार/न्यूज़11भारत
गुमला/डेस्क:- घाघरा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में बने तहसील न्यायालय एवं कर्मचारी आवास भवन आज सरकारी उपेक्षा का प्रतीक बनकर खड़े हैं। आवंटन और संचालन शुरू होने से पहले ही ये भवन जर्जर होने लगे हैं। जन सुविधाओं एवं सरकारी कार्यों को सुलभ, सरल एवं पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से घाघरा प्रखंड के कई पंचायतों में तहसील न्यायालय एवं कर्मचारी आवास भवनों का निर्माण कराया गया। सरकार की मंशा थी कि ग्रामीणों को छोटी-छोटी योजनाओं और जरूरी कागजी कार्रवाई के लिए ब्लॉक और जिला मुख्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े. उन्हें अपनी ही पंचायत में एक ही छत के नीचे सभी सेवाएँ मिल सकती हैं, जिससे समय और धन दोनों की बचत होगी। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. निर्माण कार्य पूरा हुए वर्षों बीत गये, लेकिन अब तक इन भवनों का न तो आवंटन हो सका है और न ही यहां कोई नियमित सरकारी काम ही शुरू हो सका है. नतीजा यह है कि तहसील न्यायालय भवन परिसर घास का मैदान बन गया है। चारों ओर ऊंची-ऊंची झाड़ियां उग आई हैं। दरवाजे जर्जर होकर टूट रहे हैं, खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गये हैं। साफ-सफाई और रख-रखाव के अभाव में ये इमारतें धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं। साहेबगिरी, फाइल गेम और उदासीनता के कारण अब तक तहसील न्यायालय में कामकाज शुरू नहीं हो सका है, जबकि ग्रामीण आज भी योजनाओं का लाभ लेने और सरकारी कार्यों के लिए प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि अगर समय रहते इन भवनों का आवंटन नहीं किया गया और इन्हें पूरी तरह चालू नहीं किया गया तो कई अन्य सरकारी भवनों की तरह ये भी उद्घाटन और उपयोग के इंतजार में खंडहर में तब्दील हो जायेंगे. अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन कब जागेगा, क्या उद्घाटन की बाट जोह रहा यह तहसील न्यायालय सचमुच जनसुविधा का केंद्र बन पायेगा या खंडहर बनने की तैयारी पूरी कर लेगा. जल्द ही भवन को उपयोग में लाया जाएगा। अंचलाधिकारी खाखा सुशील कुमार. दूरभाष के माध्यम से अंचलाधिकारी खाखा सुशील कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि जल्द ही भवन को उपयोग में लाया जायेगा.
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