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Wednesday, November 19, 2025
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शह-मात की बड़ी बहस: एसटी उम्मीदवार ‘नतीजे’ में नहीं…आदिवासी ‘वोट’ निशाने पर! जाति और वर्ग विभाजन की राजनीति क्यों?


भोपाल: MP News मध्य प्रदेश में आदिवासियों के मुद्दे पर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ गया है. आदिवासियों का सच्चा नेता बनने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है. दरअसल, नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने सिविल जज परीक्षा-2022 के नतीजों को लेकर बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने एक्स पर लिखा: सिविल जज परीक्षा 191 पदों के लिए आयोजित की गई थी, लेकिन अंततः केवल 47 उम्मीदवारों का चयन किया गया। यह चिंताजनक है. कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित 121 पदों पर एक भी चयन नहीं हो सका. यह स्थिति किसी भी संवेदनशील राज्य के लिए चिंता का विषय है. कांग्रेस नेता उमंग सिंघार के आरोपों का समर्थन करते दिखे और कहा कि कांग्रेस न्याय के लिए लड़ती रहेगी.

MP News जहां कांग्रेस सिविल जज परीक्षा परिणाम के बहाने बीजेपी सरकार की घेराबंदी कर रही है, वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए कांग्रेस को आदिवासी विरोधी करार दिया है और खुद को आदिवासियों का सच्चा हितैषी बताया है.

कुल मिलाकर आदिवासियों को खुश करने के लिए दोनों पार्टियों में आरोप लगते रहते हैं. जनता तय करेगी कि कौन हितैषी है और कौन विरोधी. बाकी परीक्षाओं के अपने-अपने मापदंड हैं, अपने-अपने चयन मानदंड हैं। ऐसे में सवाल ये है कि कांग्रेस हर संवैधानिक व्यवस्था पर सवाल क्यों उठाती है? क्या सभी संस्थाएँ गलत हैं और केवल कांग्रेस ही सच्ची है? सवाल यह भी है कि हर बात में जाति और वर्ग बांटने की राजनीति क्यों? क्या राजनीतिक विभाजन की दरारों से कोई आगे बढ़ पाएगा?

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