मध्य प्रदेश में आयोजित सिविल जज परीक्षा के नतीजों को लेकर उमंग सिंघार ने सवाल किया है कि क्या हमारा सिस्टम हर वर्ग को समान अवसर उपलब्ध कराने में सफल है. उन्होंने कहा कि 191 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन केवल 47 उम्मीदवारों का चयन किया गया और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित 121 पदों में से किसी का भी चयन नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि मुद्दा न्यायपालिका या उसकी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाना नहीं है, न ही योग्यता बनाम आरक्षण पर बहस शुरू करना है. सिंघार ने कहा कि हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि सच्ची योग्यता तभी संभव है जब सभी वर्गों को तैयारी और सीखने के समान अवसर मिले।
सिविल जज परीक्षा परिणाम को लेकर उमंग सिंघार के सवाल
उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित 121 पदों पर एक भी उम्मीदवार पास नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि इन नतीजों के आते ही पूरे प्रदेश में एक व्यापक और स्वाभाविक बहस शुरू हो गयी है. लोग यह समझना चाहते हैं कि क्या इतनी बड़ी संख्या में आरक्षित पदों का खाली रहना किसी गहरी संरचनात्मक कमी की ओर इशारा करता है.
‘सभी वर्गों को समान अवसर मिलना चाहिए’
कांग्रेस नेता ने स्पष्ट किया कि वह न्यायपालिका या उसकी चयन प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठा रहे हैं और न ही उनका योग्यता बनाम आरक्षण पर बहस शुरू करने का इरादा है। उन्होंने कहा कि हम जो कह रहे हैं वह यह है कि “सच्ची योग्यता तभी संभव है जब सभी वर्गों को तैयारी और सीखने के समान अवसर मिले। जब अवसरों और संसाधनों में असमानता गहरी होती है, तो योग्यता अपने वास्तविक रूप में सामने नहीं आती है और यह स्थिति एससी-एसटी और वंचित छात्रों को सबसे अधिक प्रभावित करती है।”
विपक्ष के नेता ने कहा कि न्याय का मतलब सिर्फ फैसला देना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि हर नागरिक के लिए न्याय तक पहुंचने का रास्ता समान और आसान हो। उन्होंने कहा, “यह आवश्यक है कि राज्य ऐसी नीतियां और संरचनाएं विकसित करें जो वंचित समुदायों को न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए वास्तविक और समान अवसर प्रदान करें। यह चर्चा एक समावेशी और न्यायपूर्ण मध्य प्रदेश के निर्माण की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है और इसी भावना से हम इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठा रहे हैं।”



