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सिमडेगा/डेस्क:- सिमडेगा के सबसे पुराने गांव तमरा का सबसे पुराना ऐतिहासिक जतरा मेला का मंगलवार 25 नवंबर को विधिवत उद्घाटन होगा. दो दिवसीय ऐतिहासिक मेले को लेकर सभी तरह की तैयारियां की जा रही हैं, जहां दूर-दूर से खेल-तमाशे, बच्चों के मनोरंजन के साधन और मिठाइयां समेत विभिन्न प्रकार के सामान बेचने वाली दुकानें आ रही हैं. 25 नवंबर को पाहन धर्मनाथ खड़िया द्वारा ग्राम देवी की पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान से मेला की शुरुआत होगी. जिसका उद्घाटन उपायुक्त सिमडेगा कंचन सिंह एवं एसपी एम अर्शी करेंगे. जिसकी तैयारी की जा रही है
यह मेला 112 वर्षों से अधिक समय से आयोजित किया जा रहा है
इस मेले के पीछे की कहानी बहुत दिलचस्प है क्योंकि इस मेले के आयोजन का इतिहास 112 वर्षों से भी अधिक पुराना है। 1913 के आसपास, गाँव के कुछ उत्साही लोगों, जिनमें जागेश्वर सिंह महावीर साव, रामलाल साव, शिवलाल साव, श्री साव, बबन श्रीवास्तव, दुर्गा साव, फिरू लोहरा, जगन साव, रामचन्द्र साव, सीताराम साव, उधो तेली और अन्य शामिल थे, ने क्षेत्र में अच्छी फसल होने की उम्मीद में और लोगों को संगठित करने और एक साथ बांधने के प्रयास में एक छोटे मेले का आयोजन किया था। लेकिन दिन-ब-दिन इसमें आस-पास के गांवों का समर्थन मिलने लगा और मेला बड़ा रूप लेता गया। इसे ले लिया और फिर लोग यहां मेले का आनंद लेते थे.
मेले से एक सप्ताह पहले झाली मांगने की परंपरा है।
ताम्र जतरा मेला को लेकर शुरू से ही झाली मांगने की परंपरा रही है. जहां छोटे-छोटे बच्चे पारंपरिक गीत गाते हुए घर-घर जाते हैं और धान, चावल आदि चीजें इकट्ठा करते हैं और यह परंपरा गांव में 112 वर्षों से लगातार चल रही है। आज भी गांव के छोटे बच्चे घर-घर जाकर गीत गाते हैं और शाम को धान और चावल की मांग करते हैं, जिसे वे जतरा मेले में ले जाते हैं और मुरही और चूड़ियों के बदले यात्रा मेले का आनंद लेते हैं। गांव के लोग अपने घरों में लाई गई नई फसल का दान भी बड़े उत्साह से करते हैं।
मेले में कठपुतली नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा।
इस मेले के सबसे आकर्षक केंद्र की बात करें तो इस मेले में कठपुतली नृत्य का आयोजन किया जाता था, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। यह कार्यक्रम यहां बीरू के नायक समुदाय के लोगों द्वारा दिखाया गया था और लोग इसे देखने के लिए काफी उत्साहित थे. लेकिन धीरे-धीरे यह संस्कृति और परंपरा विलुप्त हो गई, आज इस खेल को इसके वंशजों ने बंद कर दिया और इस मेल में यह खेल अब बंद हो गया है। फिलहाल इस वर्ष 2025 में कुल्लूकेरा से कठपुतली नृत्य की व्यवस्था कर इस विलुप्त हो रही परंपरा को कायम रखने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि लोग इसका लुत्फ उठा सकें.
इस बार दो दिवसीय मेले में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा.
यहां मेला दिन-ब-दिन बड़ा होता जा रहा है। एक दिवसीय मेला अब दो दिवसीय का रूप ले चुका है। जहां पहले दिन 25 नवंबर को भव्य मेले का आयोजन किया गया है. यहां महिलाओं द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में उपायुक्त सिमडेगा एवं पुलिस अधीक्षक उपस्थित रहेंगे, वहीं दूसरे दिन 26 नवंबर बुधवार की रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें झारखंड के बड़े कलाकारों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें इग्नेस, चिंता देवी सुमन गुप्ता, पंचम राम, शखी यादव एवं पारंपरिक पाइका नृत्य मुख्य आकर्षण होगा. उक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड प्रदेश मजदूर संघ के नेता राजेश कुमार सिंह करेंगे.
सिमडेगा पर्यटन संवर्धन समिति में सूचीबद्ध भूमि की मांग लायी गयी
आयोजन समिति ने प्राचीन मेले को संरक्षित करने के लिए जिला प्रशासन सिमडेगा से मदद मांगी है. सिमडेगा जिला प्रशासन के प्रयास से मेला पर्यटन संवर्धन समिति की सूची में शामिल हो गया, लेकिन उक्त मेला स्थल निजी जमीन पर अवस्थित हो गया है और अब उस जमीन पर धीरे-धीरे मकान बन रहे हैं, ऐसे में मेला का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है. आस-पास सरकारी जमीन होने का ध्यान रखते हुए उक्त स्थान पर मेले के लिए जगह दी जाए ताकि मेले का अस्तित्व बना रहे और यह मेला हमेशा के लिए संरक्षित रह सके। आयोजन को सफल बनाने में समिति के मुख्य संरक्षक शाखी ग्वाला, हीरा राम, लाल महतो, अध्यक्ष कुबेर कैथवार, उपाध्यक्ष संतोष साहू, राहुल मिश्रा, विकास साहू, अरविंद कैथवार, सचिव राहुल कैथवार, मनीष केशरी, रिजवान खलीफा छोटा साहू, किशोर मांझी, कोषाध्यक्ष ब्रजनाथ कैथवार मुकेश गोप, उप कोषाध्यक्ष अजय बैठा, मुरली शामिल थे. सचिन, विक्की, दशरथ सचिन केशरी, अभिषेक संरक्षक मनोज सिंह, शत्रुघ्न श्रीवास्तव, फूलचंद ठाकुर, जीतेंद्र पुरी मुकेश मिश्रा, अशोक गुप्ता, रामकुमार, दिनेश राम, कृतलोचन राम सहित सभी पदाधिकारी व मीडिया प्रभारी अमन मिश्रा व राजन सिंह शामिल हैं.



