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Wednesday, November 19, 2025
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गांधी मैदान: वह मैदान जिसने बदल दी बिहार की सत्ता, जहां लिखा गया इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक अध्याय. लोकजनता


नीतीश का 10वां शपथ समारोह एक बार फिर इस मैदान की परंपरा, शक्ति और प्रभाव को साबित करेगा.

पटना: बिहार की राजनीति में गांधी मैदान सिर्फ एक खुला मैदान नहीं है शक्ति, संघर्ष और शक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक है. बिहार में जब भी कोई बड़ा राजनीतिक मोड़ आया, गांधी मैदान उसके केंद्र में रहा. आज़ादी के आंदोलन से लेकर संपूर्ण क्रांति तक… और आज की आधुनिक राजनीति तक… हर युग ने इस मैदान को इतिहास में सबसे आगे रखा है।

अब एक बार फिर नीतीश कुमार 20 नवंबर को अपने रिकॉर्ड 10वें कार्यकाल के लिए शपथ लेने जा रहे हैं.और ये ऐतिहासिक मंजर एक बार फिर इसी मैदान में लिखा जाएगा.

गांधीमैदानVUBG


कहानी शुरू हुई आज़ादी की हुंकार से

गांधी मैदान वह स्थान है जहां महात्मा गांधी की सभाएं हुई थीं, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी। जिस किसी को भी बिहार की आजादी की लड़ाई में लोगों तक पहुंचना था, उसने इस क्षेत्र को चुना।

जेपी आन्दोलन-जहाँ बदल गया पूरा देश

1974 का संपूर्ण क्रांति आंदोलन…
इंदिरा गांधी की सत्ता को हिला देने वाला जेपी का नारा भी इसी मैदान से उठा था.
यही वह जगह है जहां लाखों युवाओं ने ‘व्यवस्था परिवर्तन’ की शपथ ली और देश की राजनीति बदल गई.

आधुनिक राजनीति की धड़कन

आज भी बिहार की हर बड़ी राजनीतिक रैली के लिए यह मैदान पहली पसंद है.
नई सरकार का संदेश, गठबंधन की ताकत, विपक्ष की दहाड़ – सब यहीं से निकलता है और पूरे राज्य में फैलता है।


गांधी मैदान सिर्फ रैलियों का केंद्र नहीं है – यह सत्ता हस्तांतरण का सबसे बड़ा मंच भी रहा है।

अब तक यहां 4 बार सीएम बने

नीतीश कुमार- 3 बार

हर बार लोगों की भारी भीड़, भव्य मंच और सत्ता के नए समीकरण- सब कुछ गांधी मैदान ने देखा.

लालू प्रसाद – 1990

90 का वह मौसम, जब लालू प्रसाद पहली बार सत्ता में आये थे.
उनकी शपथ ने बिहार की राजनीति को एक नई सामाजिक दिशा दी और इस क्षेत्र में इतिहास की गूंज सुनाई दी।


आजतक-दैनिक भास्कर अंदाज में समझें-

राजनीतिक शक्ति का प्रतीक

यह मैदान हमें बताता है कि किसके पास जनादेश है और किसके पास इसके पीछे करोड़ों लोगों की ताकत है।

लोगों की सीधी भागीदारी

यहां सैकड़ों नहीं, हजारों नहीं…बल्कि लाखों लोग एक साथ मौजूद हैं.
यह सिर्फ एक शपथ नहीं है – यह लोगों का राजनीतिक उत्सव है।

राजनीतिक संदेश मंच

यहां से संदेश सीधे बिहार के गांवों तक पहुंचते हैं.
किसकी सरकार कितनी मजबूत है- इसका पैमाना बनता है गांधी मैदान.


नीतीश कुमार 10वीं बार शपथ लेने जा रहे हैं.
यह सिर्फ एक शपथ नहीं है – यह एक रिकॉर्ड है, एक संदेश है और बिहार की राजनीति में एक पूर्ण चक्र पूरा करना है।

पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह- सभी मौजूद रहेंगे.

यह शपथ समारोह अब तक के सबसे बड़े राजनीतिक आयोजनों में से एक होने जा रहा है.

गांधी मैदान फिर साबित करेगा कि यह सिर्फ मैदान नहीं, बिहार की राजनीति का दिल है.



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