हिंदू धर्म में ज्योतिष केवल ग्रहों और तारों का अध्ययन नहीं है, बल्कि प्रकृति के संकेतों को समझने का गहन ज्ञान भी है। इसी विद्या की एक महत्वपूर्ण शाखा है शकुन-अपशकुन शास्त्र, जो बताता है कि किसी भी अनहोनी या शुभ समय के आने से पहले प्रकृति स्वयं संकेत देने लगती है। कई बार हम पर्यावरण में अचानक बदलाव, जानवरों का अजीब व्यवहार या आसमान में घटने वाली घटनाएं देखते हैं, जिन्हें आम आंखें नजरअंदाज कर सकती हैं, लेकिन प्राचीन ग्रंथ इन्हें महत्वपूर्ण संकेत मानते हैं।
इन्हीं संकेतों का जिक्र महाभारत में भी मिलता है, जब अर्जुन युद्ध के मैदान में खड़े होकर विचलित हो जाते हैं। उन्हें शरीर कांपना, मुंह सूखना, धरती का हिलना और आकाश में अज्ञात हलचल जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आज के समय में भी शकुन शास्त्र के ये अपशकुन जैसे उल्कापात, ग्रहण, पशु-पक्षियों का असामान्य व्यवहार किसी न किसी परिवर्तन का प्रतीक माने जाते हैं। सवाल यह है कि इन संकेतों की सच्चाई क्या है और ये मानव जीवन पर किस तरह प्रभाव डालते हैं?
शकुन शास्त्र क्या है और इसे आज भी सटीक क्यों माना जाता है?
शकुन शास्त्र हिंदू ज्योतिष की एक प्राचीन शाखा है, जो प्रकृति के संकेतों के आधार पर भविष्य की संभावनाओं की भविष्यवाणी करता है। इस ग्रंथ का प्रयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि जब कोई बड़ा बदलाव होने वाला होता है, चाहे वह शुभ हो या अशुभ, प्रकृति पहले से ही संकेत देना शुरू कर देती है।
पुराने ग्रंथों में वर्णित है कि जब किसी स्थान पर कोई बड़ी बीमारी फैलने वाली होती है, किसी परिवार में कोई संकट आने वाला होता है, या कोई बड़ा राजनीतिक-सामाजिक परिवर्तन होने वाला होता है, तो सबसे पहले आकाश, पृथ्वी और वायुमंडल में कुछ ‘असामान्य’ घटित होने लगता है। कभी-कभी ये संकेत इतने सूक्ष्म होते हैं कि आम आदमी इन्हें समझ नहीं पाता, लेकिन अनुभवी लोग इन्हें तुरंत पहचान लेते हैं।
आधुनिक समय में भी, जहाँ विज्ञान विकसित हो चुका है, भूकंप आने से पहले जानवरों का बेचैन हो जाना, बड़े तूफानों से पहले पक्षियों का दिशा बदल लेना जैसी कई घटनाएँ भविष्यवाणी की गहराई को साबित करती हैं।
1. शकुन शास्त्र क्या है?
शकुन शास्त्र हिंदू ज्योतिष की वह शाखा है जो प्रकृति में होने वाली असामान्य घटनाओं, ध्वनियों और संकेतों के आधार पर शुभ और अशुभ घटनाओं की भविष्यवाणी करती है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी अनहोनी या शुभ घड़ी से पहले प्रकृति स्वयं संकेत देने लगती है, जिसे समझने वाले उसके आधार पर भविष्य का आकलन कर लेते हैं।
2. महाभारत में अर्जुन को अपशकुन मिला था
युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन को शरीर कांपना, मुंह सूखना, अशांत मन, भारी वातावरण जैसे कई प्रतिकूल लक्षण दिखे। गीता में उन्होंने इनका वर्णन “विपरीत निमित्त” के रूप में किया है। ये सभी संकेत बताते हैं कि किसी भी बड़े संकट से पहले प्रकृति और शरीर दोनों ही चेतावनी देना शुरू कर देते हैं।
3. उल्कापात, ग्रहण और पृथ्वी का कंपन
शकुन शास्त्र उल्कापात, असामयिक ग्रहण और पृथ्वी के कांपने जैसी घटनाओं को बड़े परिवर्तन या अनहोनी का संकेत मानता है। ये घटनाएँ अक्सर सत्ता परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, बीमारी या सामाजिक उथल-पुथल से पहले सामने आती हैं। आज विज्ञान भी इन प्राकृतिक चेतावनियों को आंशिक रूप से सही मानता है।
4. परिवार में किसी अनहोनी से पहले दिखने वाले संकेत
किसी दुर्घटना से पहले घर का माहौल अचानक बोझिल हो सकता है; बेचैनी बढ़ सकती है, चीजें बार-बार टूट सकती हैं, अजीब सी आवाजें सुनाई दे सकती हैं या सपनों में लगातार डरावने दृश्य दिखाई दे सकते हैं। दिल की धड़कन, आंख का फड़कना, अचानक डर लगना जैसे संकेत भी शरीर देता है। कभी-कभी जानवरों के असामान्य व्यवहार को भी एक चेतावनी माना जाता है।
5. विज्ञान क्या कहता है?
विज्ञान का मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं से पहले जानवरों का व्यवहार बदल जाता है। भूकंप, तूफ़ान और वायुमंडलीय परिवर्तन पर्यावरण और मन दोनों पर प्रभाव डालते हैं। चंद्रमा की स्थिति मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। कई वैज्ञानिक तथ्य भविष्य कथन के सिद्धांतों से मेल खाते प्रतीत होते हैं।
6. अपशकुन दिखे तो क्या करें?
आचार्यों के अनुसार अगर नकारात्मक संकेत दिखें तो मन को स्थिर रखना जरूरी है। घर में दीपक जलाना, अव्यवस्था दूर करना, गाय को खाना खिलाना, तुलसी या पीपल के पेड़ के सामने मंत्र जाप करना और जल चढ़ाने से वातावरण सकारात्मक होता है। साथ ही किसी गुरु या बुजुर्ग की सलाह लाभकारी रहेगी।
डिस्क्लेमर- यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारी के आधार पर दी गई है. एमपी ब्रेकिंग न्यूज यह दावा नहीं करता कि ये सत्य और सटीक हैं।



