बिहार चुनाव में करारी हार के बाद जहां राजद और उसके नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं लालू परिवार के भीतर भी गहरी उथल-पुथल शुरू हो गई है. यह हलचल न सिर्फ राजनीतिक स्तर पर बल्कि पारिवारिक स्तर पर भी बड़े विवाद का रूप ले चुकी है.
चुनावी हार की समीक्षा के दौरान तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले रमीज नेमत और संजय यादव की भूमिका पर उंगलियां उठने लगी हैं. माना जाता है कि चुनावी रणनीति के कई अहम फैसले इन्हीं दोनों के सुझाव पर लिए गए. अब जब नतीजे पार्टी के खिलाफ आए हैं तो परिवार और संगठन दोनों में नाराजगी बढ़ गई है.
कौन हैं रमीज़ नेमत? क्यों विवादों में घिरती नजर आ रही है?
रमीज नेमत मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर इलाके का रहने वाला है और अपराध की दुनिया में एक कुख्यात नाम के रूप में जाना जाता है। रमीज समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रिजवान जहीर के दामाद हैं।
तेजस्वी यादव के बेहद करीबी बताए जाने वाले रमीज पर हत्या, धमकी, रंगदारी और साजिश जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हैं.
जमीन कुर्की से विवाद बढ़ गया था
योगी सरकार साल 2023 में पूर्व सांसद रिजवान जहीर की संपत्ति को अपने दामाद रमीज नेमत के नाम पर खरीदने की मंजूरी देगी. 4 करोड़ 75 लाख रुपये की जमीन कुर्क किया था. इस कार्रवाई ने रमीज़ के आपराधिक नेटवर्क और प्रभाव को लेकर कई नए सवाल खड़े कर दिए थे.
पूर्व चेयरमैन की हत्या का भी आरोप
4 जनवरी 2022 को बलरामपुर जिले में पूर्व नगर पंचायत चेयरमैन फिरोज पप्पू की गला रेतकर हत्या कर दी गई.
इस हाईप्रोफाइल मामले में पुलिस पर साजिश का आरोप लगाया गया पूर्व सपा सांसद रिजवान जहीर, उनकी बेटी जेबा रिजवान और रमीज नेमत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
रमीज नेमत नियामतुल्लाह खान के बेटे हैं और मूल रूप से तुलसीपुर तहसील के भंगहाकला गांव के रहने वाले हैं।
शादी के बाद वह अपने ससुर पूर्व सांसद रिजवान जहीर के घर शीतलपुर, बलरामपुर में रहने लगे।
रमीज कैसे बने लालू परिवार में संकट की वजह?
रमीज़ को तेजस्वी यादव की टीम में रणनीतिक समूह का हिस्सा माना जाता था – जो संजय यादव के साथ राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित करते थे।
हार के बाद परिवार के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि इतने विवादित और आपराधिक छवि वाले लोगों को अहम रणनीति का हिस्सा कैसे बना लिया गया?
राजद के कई वरिष्ठ नेता भी अंदरखाने असंतुष्ट बताये जा रहे हैं. चुनाव में हार और रमीज़ से जुड़े विवाद से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में मतभेद गहरा गया है.
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