रामनगर/बाराबंकी, लोकजनता। महादेवा महोत्सव के दूसरे दिन सांस्कृतिक मंच पर स्कूली बच्चों व कॉलेज की छात्राओं ने विभिन्न रंगारंग प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया. कार्यक्रम की शुरुआत यूनियन इंटर कॉलेज की छात्रा छवि, अंशिका, खुशी और दिव्यांशी के लोकगीत और समूह प्रस्तुति तोरा बलम कप्तान हो और मेहंदी ले आय से हुई, जिसे दर्शकों ने तालियों से सराहा। अंशिका ने पार्वती बोली शंकर के साथ एकल नृत्य प्रस्तुत किया।
मनीष मौर्य ने लागी तेरी प्रीत मेरे संग भावपूर्ण गीत गाया। छात्रा रुद्रांशी पांडे ने झाँसी की रानी पर वीरतापूर्ण कविता प्रस्तुत कर सभी को उत्साहित कर दिया। प्राथमिक विद्यालय त्रिलोकपुर के बच्चों ने शिव विवाह पर आधारित नृत्य नाटिका तथा छोटे बच्चों ने श्री गणेश देवा पर नृत्य प्रस्तुत किया। इस विद्यालय के शिक्षकों व बच्चों ने नुक्कड़ नाटक कर शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूकता का संदेश दिया. पीजी कॉलेज की छात्राओं ने स्वनिर्मित दुपट्टों पर मॉडलिंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
कैलाश निवासी विद्यार्थियों ने शिव भजन नमो बार-बार हूं व अन्य समूह प्रस्तुतियां दीं। प्राथमिक विद्यालय सिरकौली के छात्र अक्षत और अजय शेखर ने अंग्रेजी भाषण के माध्यम से त्योहार की झलकियां साझा कीं। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गणेशपुर व सूरतगंज की छात्राओं ने शिव तांडव व भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।
कांति महाविद्यालय और बीपीएन इंटरनेशनल एकेडमी के छात्रों ने देशभक्ति गीतों और समूह नृत्य से महोत्सव में रंगारंग तड़का लगाया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी विद्यालयों के बच्चों एवं शिक्षकों को खण्ड शिक्षा अधिकारी रमेश चन्द्र द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्राचार्य डॉ. कौशलेंद्र विक्रम मिश्र, प्राचार्य डॉ. कमलेश सिंह, उपप्राचार्य प्रफुल्लित सिंह, बीआरसी देवेन्द्र सिंह समेत अन्य शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
मेला प्रशासन की उदासीनता, भूखे-प्यासे लौटे कलाकार व बच्चे
महादेवा महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को मेला प्रशासन की उदासीनता के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने आये स्कूली बच्चों, शिक्षकों व कलाकारों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. बताया गया कि कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों को न तो उचित भोजन की सुविधा मिली और न ही पानी तक आसानी से उपलब्ध हो सका. दोपहर 12 बजे शुरू हुए बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रशासन के किसी जिम्मेदार अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण दीप प्रज्ज्वलन भी नहीं हो सका. इसके चलते कार्यक्रम की शुरुआत में ही अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला.
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी भूखे-प्यासे एवं निराश होकर लौट गये। मेला मैदान में आयोजित प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वालों को भी पानी की कमी का सामना करना पड़ा. हालांकि मेला प्रशासन की ओर से जलपान व भोजन की पूरी व्यवस्था की गयी थी, लेकिन इसका लाभ मेले में आये लोगों तक नहीं पहुंच सका. जिससे महोत्सव के दर्शकों एवं प्रतिभागियों में प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त हो गया। साथ ही आयोजकों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठ रहे हैं.
अर्चना मिश्रा की मधुर गायकी ने सबका मन मोह लिया।
महादेवा महोत्सव के दूसरे दिन सांस्कृतिक मंच पर लोक गायिका अर्चना मिश्रा ने अपने सुंदर भजनों और लोकगीत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. उन्होंने लोकगीत हे री सखी मंगल गाओ री की मधुर प्रस्तुति दी, जिसे सुनकर दर्शक तालियों के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने पर मजबूर हो गये।
अर्चना ने हे द्वारपालों कन्हैया से कह दो और हे भोलेनाथ भोलेनाथ जैसे शिव भजन प्रस्तुत किये जिससे श्रोता भावविभोर हो गये। इसके अलावा साथी हमारा कौन बनेगा और तुम ना सुनोगे तो कौन सुनेगा जैसे गानों ने भी खूब तालियां बटोरीं. कार्यक्रम में की-बोर्ड पर गौरव मिश्रा, पैड पर दीपक मिश्रा, ढोलक पर अतुल और कोरस में विनीत मिश्रा ने प्रस्तुति को और भी आकर्षक बना दिया। इस प्रस्तुति ने महोत्सव में आए दर्शकों को पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर दिया.
पर्णिका श्रीवास्तव के गंगा अवतार ने दर्शकों का मन मोह लिया।
पर्णिका श्रीवास्तव एवं उनके समूह ने महादेवा महोत्सव के प्रतिष्ठित मंच पर गंगा अवतरण पर आधारित कथक नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। इस नाटक के माध्यम से मां गंगा के धरती पर अवतरण की कथा को नृत्य एवं संगीत के माध्यम से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया, जिससे दर्शक पूरी तरह से भक्ति में डूब गये.
मां गंगा की भूमिका में पर्णिका श्रीवास्तव के अभिनय को काफी सराहा गया, वहीं भोलेबाबा की भूमिका में अभिजीत के अभिनय को भी दर्शकों ने सराहा. अन्य प्रमुख किरदारों में कपिलमुनि और भागीरथी की भूमिका में अंश पांडे का अभिनय भी सराहनीय रहा. सहायक कलाकार रितिका मिश्रा, अनुराधा और जया ने भी नृत्य में बेहतरीन प्रस्तुति दी. इस नाटक का संचालन रजनी श्रीवास्तव ने किया, जिन्होंने प्रस्तुति को और भी प्रभावशाली बना दिया.
ग्रामीण कठपुतली दल ने स्वच्छता संदेश के साथ मनोरंजक प्रस्तुति दी
महादेवा महोत्सव के सांस्कृतिक मंच पर मंगलवार का दिन खास रहा, जब ग्रामीण कठपुतली दल के कलाकारों ने अपनी पारंपरिक कला के जरिये स्वच्छ भारत का संदेश दिया. रंग-बिरंगी कठपुतलियों और जीवंत अभिनय के माध्यम से कलाकारों ने दर्शकों को स्वच्छता का संदेश दिया, जिसे सभी ने खूब सराहा। कार्यक्रम के दौरान कलाकारों ने लोकप्रिय गीत झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में.., छोड़ दो कलाई राधा की.. और तेरे द्वार पे आया शंभू.. पर मनमोहक कठपुतली नृत्य प्रस्तुत किया।
कठपुतलियों के संगीत और समन्वित गतिविधियों ने पूरे वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया। सिद्धार्थ कनौजिया, मनीष कनौजिया, कपिल व पंकज की प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शक झूम उठे और कलाकारों की प्रतिभा की सराहना की. इस अनूठी प्रस्तुति ने महोत्सव में आए लोगों को ग्रामीण लोक संस्कृति और परंपरा से परिचित कराया और सामाजिक जागरूकता का संदेश भी दिया.



