बिहार से 17वीं विधानसभा का कार्यकाल पूरा ऐसा हो चुका है और इस बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट ने राज्य की राजनीति को लेकर बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, आखिरी 5 साल में 17 विधायकों ने बदली पार्टियांजो बिहार में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता का संकेत दे रहे हैं.
यह आंकड़ा न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि यह भी बताता है कि राज्य की राजनीति में दलबदल किस तेजी से बढ़ रहा है और इसका सीधा असर सरकार की विश्वसनीयता और जनता के विश्वास पर पड़ रहा है.
दल-बदल: लोकतंत्र को मौन सदमा
एडीआर रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े साफ बताते हैं कि बिहार में दलबदल अब सामान्य राजनीतिक व्यवहार बनता जा रहा है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रवृत्ति सिर्फ यही नहीं है जनादेश का अपमान बल्कि, लोकतंत्र की नींव – स्थिरता, पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास – एक बड़ा झटका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि:
- दलबदल से सरकारों की स्थिरता प्रभावित हुई होती है
- जनता के बीच राजनेता वफादारी और जवाबदेही पर सवाल उठना
- प्रशासनिक कार्य एवं नीति निर्धारण में अनिश्चितता बढ़ती है
17 विधायक, 5 साल- क्या बिहार की राजनीति में दल-बदल एक नया चलन है?
पिछले कार्यकाल में कुल 17 विधायकों का दल बदलना इस बात का संकेत है कि विधायकों में वैचारिक प्रतिबद्धता कम हो गयी है और सत्ता की राजनीति अधिक हावी हो गयी है.
इनमें कुछ विधायक विपक्ष से सत्ता पक्ष में शामिल हुए तो कई विधायक सत्ता पक्ष छोड़कर दूसरे गठबंधन का हिस्सा बन गए.
राजनीतिक विशेषज्ञ यह चुनावी अवसरवादिता वहीं कुछ लोग इसे अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को गति देने की विधायक की रणनीति मान रहे हैं.
18वीं विधानसभा के गठन से पहले बड़ा संदेश
यह रिपोर्ट ऐसे वक्त आई है जब बिहार में नई विधानसभा का गठन होना है.
एडीआर के मुताबिक, दलबदल पर लगाम लगाने के लिए राजनीतिक दलों को अब ये समझना होगा सख्त निर्देश, कठोर दंडऔर राजनीतिक पारदर्शिता आवश्यक है।
जनता भी बार-बार यही सन्देश दे रही है कि:
- उन्हें स्थिर सरकार आवश्यकता है
- उन्हें दल बदलने वाले विधायक पसंद नहीं
- उन्हें विधायक चाहिए जनादेश के प्रति निष्ठा रखना
नई सरकार के लिए बड़ी परीक्षा
18वीं विधानसभा के गठन के बाद सबसे बड़ा सवाल यह होगा कि नई सरकार इस चुनौती से कैसे निपटेगी.
क्या आने वाले पांच सालों में दलबदल का ये सिलसिला रुक जाएगा?
या फिर बिहार की राजनीति में ये सिलसिला और तेज होगा?
राजनीतिक जानकार इसे आने वाली सरकार का मान रहे हैं पहली परीक्षा बता रहे हैं.
नई सरकार के सामने
- दलबदल पर रोक
- राजनीतिक आचरण में सुधार
- जनता के विश्वास की बहाली
ऐसी ही प्राथमिक चुनौतियाँ होंगी।
VOB चैनल से जुड़ें



