शेख़ हसीना की मृत्युदंड अपील: सोमवार 17 नवंबर बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा दिन साबित हुआ. देश की घरेलू युद्ध अपराध अदालत, जिसे अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के नाम से जाना जाता है, ने अपदस्थ प्रधान मंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई। अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन में “मानवता के खिलाफ अपराध” के आरोप साबित होने के बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया. इस फैसले के आते ही देश-दुनिया में हड़कंप मच गया, क्योंकि हसीना का नाम वहां की राजनीति में काफी चर्चित और विवादित दोनों रहा है.
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
न्यायमूर्ति मोहम्मद गोलाम मुर्तजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली अदालत की पीठ ने न केवल शेख हसीना को दोषी पाया, बल्कि उनके दो करीबी सहयोगी, पूर्व आंतरिक मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी दोषी पाया। कोर्ट के मुताबिक ये तीनों मिलकर देशभर में प्रदर्शनकारियों पर हमला करने और उन्हें खत्म करने की कोशिश में शामिल थे. हालांकि, कोर्ट ने एक अहम बात यह कही कि पूर्व पुलिस प्रमुख को माफ कर दिया गया क्योंकि उन्होंने कोर्ट और देशवासियों से माफी मांगी थी, इसलिए उन्हें सजा नहीं दी गई.
छात्रों की मांगें नहीं सुनी गईं-कोर्ट
ट्रिब्यूनल ने फैसले में यह भी कहा कि शेख हसीना की सरकार ने छात्रों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया. कोर्ट के मुताबिक, छात्रों की बात गंभीरता से सुनने के बजाय हसीना ने उनके बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और उन्हें ‘राजा’ कहा। बांग्लादेश में इस शब्द का इस्तेमाल गद्दारों के लिए किया जाता है, इसलिए इसका राजनीतिक असर बहुत गहरा है. अदालत ने कहा कि हसीना ने कानून और व्यवस्था बलों को ड्रोन का उपयोग करके भीड़ का पता लगाने और हेलीकॉप्टरों और घातक हथियारों का उपयोग करके आंदोलन को दबाने का आदेश दिया था। कोर्ट के मुताबिक इस कार्रवाई में देशभर में कई प्रदर्शनकारी मारे गए.
शेख हसीना मौत की सज़ा अपील: फैसले पर क्या बोलीं हसीना?
फैसला आते ही हसीना ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी और इसे ”पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक” बताया. उन्होंने कहा कि जुलाई और अगस्त में जो हुआ वह देश और कई परिवारों के लिए दुखद था, लेकिन सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की थी. अपने बयान में उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व ने अच्छी मंशा से कदम उठाया, लेकिन हालात हाथ से बाहर हो गए. हसीना ने इसे तथ्यों की गलत व्याख्या बताते हुए इसे नागरिकों के खिलाफ पूर्व नियोजित साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि जो हुआ उसे ”पूर्व नियोजित हमला” कहना सही नहीं है.
क्या हसीना इस फैसले को चुनौती दे सकती हैं?
कानून के मुताबिक शेख हसीना इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती हैं. लेकिन इस पर एक राजनीतिक मोड़ भी है. फैसले से एक दिन पहले, हसीना के बेटे और सलाहकार सजीव वाजेद ने रॉयटर्स से कहा था कि वह तब तक अपील नहीं करेंगे जब तक कि एक नई, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार नहीं बन जाती जिसमें अवामी लीग भी शामिल हो। इसका मतलब है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए हसीना की टीम अपील करने से बच सकती है.
यह भी पढ़ें:
‘अल्लाह मिट्टी को मिसाइल बना देता है’, भारत से मात खाने के बाद मुनीर ने बोला घमंड, अब जॉर्डन को बता रहे हैं ‘सफलता’ की कहानी
क्रोएशिया में गूंजी भारत की दहाड़! स्वदेशी ‘काल भैरव’ ड्रोन ने जीता सिल्वर मेडल, दुश्मनों के लिए पैदा किया नया खौफ!



