बिजनेस डेस्क. भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है और यह पहचान यहां के किसानों की मेहनत से बनी है। इन्हीं किसानों के बीच से एक ऐसा युवा निकला जिसने न सिर्फ अपनी दिशा बदली बल्कि करोड़ों भारतीयों की आर्थिक सोच में भी बड़ा बदलाव लाया। मध्य प्रदेश के छोटे से गांव लेपा में जन्मे किसान के बेटे ने निवेश की दुनिया में ऐसी क्रांति ला दी, जिसने लाखों लोगों को शेयर बाजार से जोड़ दिया. यह कहानी है ग्रो ऐप के सह-संस्थापक और सीईओ ललित केशारे की।
किसान का बेटा, अंग्रेजी माध्यम की नई शुरुआत
ललित केशरे का बचपन साधारण ग्रामीण परिवेश में बीता। उनके गाँव में कोई अंग्रेजी माध्यम का स्कूल नहीं था, इसलिए उनके माता-पिता ने उन्हें बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए खरगोन भेज दिया, जहाँ उनके दादा-दादी रहते थे। साथ ही उन्होंने हाल ही में खुले जिले के पहले इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई शुरू की.
स्कूली शिक्षा के बाद ललित ने जेईई के बारे में सुना और कड़ी मेहनत के दम पर आईआईटी बॉम्बे में चयन हो गया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फ्लिपकार्ट से अपने करियर की शुरुआत की. लेकिन उनकी असली यात्रा 2016 में शुरू हुई, जब उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ ग्रो को लॉन्च किया।
स्टार्टअप से स्टॉक मार्केट तक ग्रो की उड़ान
ग्रो की शुरुआत एक साधारण म्यूचुअल फंड वितरण प्लेटफॉर्म के रूप में हुई थी, लेकिन कुछ ही वर्षों में इसका विस्तार इक्विटी, आईपीओ, ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड और डेरिवेटिव तक हो गया। आज कंपनी के 15 मिलियन से अधिक सक्रिय ग्राहक हैं और इसे माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला का समर्थन प्राप्त है।
ललित केशरे पहुंचे अरबपति क्लब में
ग्रो के आईपीओ के बाद इसकी जबरदस्त लिस्टिंग ने बाजार में हलचल मचा दी। 100 रुपये पर सूचीबद्ध स्टॉक ने केवल चार कारोबारी सत्रों में 70% की छलांग लगाई और कंपनी का मार्केट कैप हाल के वर्षों में सबसे बड़ी शुरुआत में से एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया।
बेहतरीन प्रदर्शन का सीधा फायदा ललित केशरे को भी मिला। उनके पास 55.91 करोड़ शेयर हैं, जिनकी कीमत 9,448 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इस रिकॉर्ड वैल्यूएशन ने उन्हें भारत के नए अरबपतियों की सूची में जगह दिला दी है.
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क्रांति किसान के आंगन से आई
एक ओर जहां किसान अपनी उम्मीदें जमीन से जोड़ता है, वहीं दूसरी ओर ललित केशरे ने लाखों युवाओं को “निवेश” की भूमि से परिचित कराया। उन्होंने न केवल खुद को आगे बढ़ाया बल्कि भारत की नई निवेशक पीढ़ी को एक आसान, पारदर्शी और सुलभ मंच भी दिया। मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव से शुरू हुई ये कहानी आज भारत की नई आर्थिक क्रांति का चेहरा बन गई है.



