राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की शानदार जीत पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पहले सोशल मीडिया पर एनडीए के सभी घटक दलों को बधाई दी और कुछ घंटों बाद व्यक्तिगत रूप से अपने भतीजे और एलजेपी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को जीत की शुभकामनाएं भेजीं।
पहले एनडीए को बधाई, फिर चिराग को अलग संदेश
रविवार दोपहर 2:20 बजे पशुपति पारस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा,
“बिहार चुनाव में एनडीए को मिले प्रचंड बहुमत के लिए सभी घटक दलों को बधाई एवं शुभकामनाएं। उम्मीद है कि एनडीए सरकार बिहार के विकास को नई दिशा देगी।”
करीब दो घंटे बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया-
“बिहार विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के लिए मेरे भतीजे, केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को बधाई और शुभकामनाएं।”
पारस के इन दो ट्वीट्स ने राजनीतिक गलियारों में खूब सुर्खियां बटोरीं, क्योंकि पिछले कुछ सालों से राजनीतिक मतभेदों के कारण उनके रिश्ते में लगातार तनाव बना हुआ है.
लोकसभा 2024 के बाद समीकरण की दिशा बदल गई
चिराग पासवान के नेतृत्व में एलजेपी (रामविलास) की एनडीए में वापसी के बाद पशुपति पारस हाशिए पर रहे. उन्होंने नरेंद्र मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि बीजेपी ने चिराग गुट को तरजीह दी और पारस गुट को कोई सीट नहीं दी. इसके बाद से पारस की पार्टी आरएलजेपी (RLJP) ने एनडीए से अलग राह पकड़ ली.
महागठबंधन में शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन कोई बात नहीं बनी.
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पारस के महागठबंधन में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं. उन्होंने सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन नेतृत्व से भी बात की, लेकिन सहमति नहीं बन सकी. आखिरकार पारस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया.
उनकी पार्टी आरएलजेपी ने कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें खगड़िया जिले की अलौली सीट से उनके बेटे यशराज को टिकट दिया गया था. हालांकि, उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा.
चिराग पासवान का नया उदय: एनडीए के साथ बड़ी जीत
दूसरी ओर, चिराग पासवान की एलजेपी-आर ने एनडीए के साथ मिलकर 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से 19 पर जीत हासिल की। इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में भी एलजेपी-आर ने एनडीए में शामिल होकर शानदार प्रदर्शन किया था और 5 की सभी सीटें जीत ली थीं. लोकसभा जीत के बाद चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में मंत्री भी बनाया गया.
राम विलास पासवान की विरासत और पारिवारिक विवाद का विस्तार
राम विलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की विरासत को लेकर पारस और चिराग के बीच विवाद गहरा गया है.
पार्टी दो भागों में बंट गई-
- पारस गुट: आरएलजेपी
- चिराग गुट: एलजेपी (रामविलास)
चिराग को कुछ समय के लिए एनडीए से बाहर रहना पड़ा, लेकिन बीजेपी ने आखिरकार उन्हें प्राथमिकता दी, जबकि पारस धीरे-धीरे राजनीतिक रूप से कमजोर होते गए।
विश्लेषण: पारिवारिक विवाद का राजनीतिक असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पारस और चिराग के बीच का विवाद सिर्फ पारिवारिक विवाद नहीं है, बल्कि इसका असर बिहार की राजनीति और एनडीए-महागठबंधन की रणनीतियों पर भी पड़ता है. पारस का इस चुनाव में अकेले लड़ना और चिराग का एनडीए में चमकना कई नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे रहा है.
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