पटना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद राजनीतिक गलियारों में एक नया विवाद गहराता जा रहा है. राजधानी पटना की सड़कों पर लगे एक पोस्टर ने अचानक राजनीतिक चर्चा गर्म कर दी है. यह पोस्टर नारी शक्ति संगठन की ओर से लगाया गया है, जिसमें यह दावा किया गया है “जनता दल यूनाइटेड के 25 से अधिक सीटें जीतने के बाद प्रशांत किशोर ने राजनीति से संन्यास ले लिया।”
इस पोस्टर के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. प्रशांत किशोर (पीके) ने चुनाव से पहले कई मंचों पर यह दावा किया था जेडीयू 25 सीटें भी नहीं जीत पाएगीऔर यदि ऐसा होता है, तो वे “राजनीति छोड़ दूंगा।”
अब जब जदयू 85 सीटें लेकिन जीत दर्ज हो चुकी है, पोस्टर के जरिए पीके के बयान पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
नारी शक्ति संगठन का तंज- नीतीश बनें मुख्यमंत्री, पीके ‘खामोश’
पोस्टर में साफ लिखा है कि जेडीयू को 25 से ज्यादा सीटें मिलने के बाद प्रशांत किशोर ने संन्यास ले लिया है.
संगठन का यह भी कहना है कि:
- पीके यही कहते रहे ‘किसी भी हालत में एनडीए सरकार नहीं आएगी’
- नवंबर के बाद नीतीश कुमार सीएम नहीं रहेंगे
- बिहार में “नया मुख्यमंत्री आएगा”
लेकिन चुनाव नतीजों ने पीके की भविष्यवाणियों को पूरी तरह गलत साबित कर दिया.
अब जबकि नीतीश कुमार की नई सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारी चल रही है, पीके ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, जिससे अटकलें और तेज हो गई हैं.
प्रशांत किशोर की प्रेस कॉन्फ्रेंस अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि आज प्रशांत किशोर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी, लेकिन ऐन वक्त पर उनकी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी. अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दिया गया इसे करें।
पार्टी के प्रेस नोट में कहा गया-
“प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थगित कर दी गई है। अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी।”
इस फैसले से पीके के राजनीतिक भविष्य को लेकर संशय और बढ़ गया है.
टीवी शो में क्या बोले प्रशांत किशोर? भविष्यवाणी विफल रही
एक टीवी शो के दौरान एंकर के पूछने पर प्रशांत किशोर ने साफ कहा था-
- “अगर जेडीयू को 25 से ज्यादा सीटें मिलेंगी तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।”
- उन्होंने यह दावा दो बार दोहराया.
- इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा “अगर जनसुराज जीतता है, तो भी जेडीयू के बारे में मेरी भविष्यवाणी गलत होगी, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।”
लेकिन नतीजों ने पीके के हर राजनीतिक अनुमान को गलत साबित कर दिया.
जनसुराज का प्रदर्शन बेहद खराब रहा – 243 में से एक भी सीट नहीं मिली.
प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज इसे लेकर काफी चर्चा रही कि यह चुनाव में बड़ा बदलाव ला सकता है. कुछ राजनीतिक विश्लेषक तो इसे त्रिकोणीय मुकाबले का केंद्र भी बता रहे थे.
लेकिन परिणाम बिल्कुल विपरीत आये –
- जनसुराज एक भी सीट नहीं जीत सके
- कई सीटों पर उम्मीदवार चौथे-पांचवें स्थान पर रहे
- जिन क्षेत्रों में पीके को सबसे ज्यादा उम्मीदें थीं वहां भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा.
यहां तक कि पटना की कुम्हरार सीट पर, जहां पीके ने सबसे मजबूत दावा किया था, जनसुराज तीसरे स्थान पर रहे.
क्या सचमुच पीके छोड़ देंगे राजनीति? अगला कदम क्या होगा?
अब बिहार में सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रशांत किशोर:
- क्या आप सचमुच राजनीति से संन्यास ले लेंगे?
- या फिर नई रणनीति बनाकर राजनीति में बने रहेंगे?
- क्या जनसुराज का पुनर्गठन होगा?
- या फिर पीके अपनी पुरानी ‘राजनीतिक रणनीतिकार’ की भूमिका में लौट आएंगे?
पोस्टर के जरिए तंज कसने के बाद अब यह मुद्दा आम लोगों से लेकर राजनीतिक दलों तक चर्चा का केंद्र बन गया है.
राजनीतिक गलियारों में उत्सुकता-रहस्य बढ़ा रहा पीके की चुप्पी!
जदयू की शानदार जीत
नीतीश कुमार की लगातार वापसी
एनडीए की प्रचंड सरकार
इन सबके बीच पीके की खामोशी और गहरी होती जा रही है.
राजनीति छोड़ने के ऐलान पर वह साफ तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं, जिससे अटकलें तेज हो रही हैं.
अब सबकी निगाहें पीके की अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस और आधिकारिक बयान पर हैं.
पीके का अगला कदम बिहार की राजनीति में दूरगामी असर डाल सकता है.
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