Bihar Election 2025 : पटना. बात सबका साथ सबका विकास के नारे की हो या A To Z फार्मूले की, बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार के दो प्रमुख दलों की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची में ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है. भाजपा ने जहां भूला बाल पर एक बार फिर भरोसा जताया है, वहीं राजद की सूची में MY समीकरण साफ तौर पर नजर आ रहा है. बीजेपी ने अगड़ी जातियों को सबसे अधिक हिस्सेदारी दी है, लगभग 50 प्रतिशत सीटों पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. हालांकि भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है. भाजपा की तरह राजद ने भी टिकट वितरण में अपने जनाधार वोट मुस्लिम और यादव का पूरा ख्याल रखा है, लेकिन किसी वर्ग की हिस्सेदारी शून्य नहीं की है.
अगड़ों में राजपूत की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भूमिहार, राजपूत, ब्रह्ममण और लाल (भूरा बाल) पर दांव लगाया है. पार्टी ने 21 राजपूत तो 15 भूमिहारों को टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने 101 उम्मीदवारों में सबसे अधिक महत्व राजपूत को दिया है. पार्टी ने कुल मिलाकर 21 राजपूत जाति के नेताओं को चुनाव के मैदान में उतारा है. पार्टी ने 15 भूमिहार जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतरा हैं. तीसरे स्थान पर ब्राह्मण जाति है. पार्टी ने 11 ब्राह्मण जाति के नेताओं को उम्मीदवार बनाया है. कायस्थ जाति की जहां तक बात है तो भाजपा ने दो कायस्थ समाज के लोगों को मैदान में उतारा है.
किसे कितनी हिस्सेदारी
- राजपूत-21
- भूमिहार-15
- ब्राह्मण-11
- कायस्थ-2
राजद ने पुराने समीकरण पर जताया भरोसा
राजद ने अब तक 84 से अधिक उम्मीदवारों को पार्टी सिम्बल दे दिया है. टिकट वितरण में एम-वाई को प्राथमिकता दी गई है. लालू यादव ने टिकट वितरण में अपने जनाधार वोट मुस्लिम और यादव का पूरा ख्याल रखा है. पार्टी ने 35 में से 18 यादवों को चुनावी मैदान में उतारा है. तीन मुस्लिम को भी उम्मीदवार बनाया है. एससी श्रेणी से चार को उम्मीदवार बनाया गया है. अतिपिछड़ा समुदाय और सवर्ण से चार-चार प्रत्याशी बनाए गए हैं. जातिगत जनगणना पर हिस्सेदारी की बात करनेवाले तेजस्वी यादव भी उम्मीदवार चयन में उन आंकड़ों का ध्यान नहीं रखा है. जनसंख्या के अनुपात में यादवों को टिकट तो मिला है, लेकिन दूसरी सबसे बड़ जाति कुशवाहा की हिस्सेदारी राजद के अंदर काफी कम देखी गयी है.
राजद में परिवारों का बोलबाला
राजद के उम्मीदवारों में परिवारवाद का बोलबाला है. बेलागंज से सुरेन्द्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को उम्मीदवार बना बनाया है. मुंगेर से प्रत्याशी मुकेश यादव जमुई से लोस चुनाव लड़नेवाली अर्चना कुमारी के पति हैं. रघुनाथपुर से चुनाव लड़ रहे ओसामा साहेब सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे हैं. हसनपुर सेमाला पुष्पम चुनाव लड़ रही हैं. उनके पति सुनील कुमार पुष्पम कई बार के विधायक रह चुके हैं. बनियापुर से चुनाव लड़ रहीं चांदनी सिंह पूर्व विधायक अशोक सिंह की पत्नी हैं. संदेश की मौजूदा विधायक किरण देवी के बेटे दीपू यादव को राजद ने टिकट दिया हैं.
भाजपा ने भी खबू निभाई रिश्तेदारी
भाजपा ने भी उम्मीदवारों के चयन में खूब रिश्तेदारी निभाई हैं. 101 की सूची में एक दर्जन से अधिक नाम ऐसे हैं जो राजनीतिक परिवारों से आते हैं. इस मामले में बिहार की कोई राजनीतिक पार्टियां अपवाद नहीं रही है. भाजपा ने राघवेंद्र प्रताप सिंह को बरहरा से उम्मीदवार बनाया है, जो पांच बार के विधायक अंबिका शरण सिंह के पुत्र हैं. इसी तरह झंझारपुर से नीतीश मिश्रा को टिकट दिया है जो पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र हैं. इसी प्रकार पार्टी ने सुजीत कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है जिनकी पत्नी सर्वणा सिंह जनप्रतिनिधि रही हैं. इसके अलावा अरुण कुमार सिंह, संजीव चौरसिया, नितिन नवीन, राणा रणधीर, निशा सिंह और श्रेयसी सिंह आदि को उम्मीदवार बनाया है.
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