पटना
बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होते ही राज्य सरकार उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है. हाल के दिनों में चुनाव प्रचार और वोटिंग के दौरान उन पर हुए हमलों को देखते हुए सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है. इसके साथ ही उन्हें नया भी मिल गया बुलेटप्रूफ वाहन भी उपलब्ध करा दी गई है, जिससे अब उनका आवागमन पहले से अधिक सुरक्षित एवं सुरक्षित हो जाएगा।
वोटिंग के दौरान हुआ हमला, गाड़ी पर फेंका गया गोबर
कुछ दिन पहले जब उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा वोटिंग के दौरान लखीसराय के मतदान केंद्र पर पहुंचे थे, तो उनकी गाड़ी… गोबर फेंका गया और उन पर हमले की कोशिश भी की गई.
यह घटना चुनावी माहौल में काफी चर्चा का विषय बनी और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे.
घटना के बाद चुनाव आयोग, स्थानीय प्रशासन और गृह विभाग ने इस हमले को गंभीरता से लिया. अब चुनाव खत्म होते ही सरकार ने उनकी सुरक्षा और कड़ी करने का फैसला किया है.
विजय कुमार सिन्हा की पुरानी कार को लेकर थी शिकायत, अब मिली नई बुलेटप्रूफ एसयूवी!
विजय कुमार सिन्हा पहले भी कई बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि:
- उन्हें जो सरकारी कार दी गई है वह पुरानी है
- वाहन बार-बार खराब हो जाते हैं
- सुरक्षा की दृष्टि से यह उपयुक्त नहीं है
इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने उनकी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की और नई बुलेटप्रूफ कार उपलब्ध करा दिया गया है.
नई गाड़ियों के आने के बाद उनकी सुरक्षा पहले से कहीं ज्यादा सख्त और आधुनिक हो गई है।
सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित हुई, सुरक्षाकर्मी भी बदले गये
सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार ने न सिर्फ गाड़ी में बदलाव किया है, बल्कि…
- तैनात सुरक्षाकर्मियों को बदल दिया गया है
- सुरक्षा व्यवस्था में नये अधिकारियों की तैनाती की गयी है
- उनके आंदोलन के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल को उन्नत किया गया है
लखीसराय घटना के बाद विजय कुमार सिन्हा ने कहा था सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही इसी के चलते हमला हुआ.
इन आरोपों के मद्देनजर गृह विभाग ने पूरे मामले की समीक्षा की है और नई सुरक्षा व्यवस्था लागू की है.
चुनाव में बड़ी जीत, अब बढ़ी जिम्मेदारी और सुरक्षा
इस चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर विजय कुमार सिन्हा एक बार फिर विधानसभा पहुंचे हैं.
नई एनडीए सरकार में भी उनकी अहम भूमिका बनी रहेगी, इसलिए उनकी सुरक्षा को लेकर कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी.
सरकार के इस फैसले से साफ है कि वरिष्ठ पदों पर बैठे नेताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं.
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