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Wednesday, November 5, 2025
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आज रमा एकादशी के अवसर पर करें इस आरती का पाठ


Rama Ekadashi 2025 Aarti: भारत में हर महीने आने वाली एकादशी और द्वादशी तिथियों का बहुत धार्मिक महत्व होता है. लेकिन रमा एकादशी का स्थान इनमें सबसे खास माना गया है. यह एकादशी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होती है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से व्रत रखने पर जीवन में धन, सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

रमा एकादशी कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल रमा एकादशी 17 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जा रही है. कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 अक्टूबर की सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर 17 अक्टूबर की सुबह 11:12 बजे तक रहेगी. चूंकि सनातन परंपरा में पर्व उदया तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं, इसलिए रमा एकादशी का व्रत और पूजा आज 17 अक्टूबर को की जा रही है.

एकादशी माता की आरती

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता .
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता.
ॐ जय एकादशी…

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी.
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी.
ॐ जय एकादशी…

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी.
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई.
ॐ जय एकादशी…

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है.
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै.
ॐ जय एकादशी…

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै.
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै.
ॐ जय एकादशी…

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी.
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की.
ॐ जय एकादशी…

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली.
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली.
ॐ जय एकादशी…

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी.
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी.
ॐ जय एकादशी…

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी.
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी.
ॐ जय एकादशी…

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए.
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए.
ॐ जय एकादशी…

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला.
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला.
ॐ जय एकादशी…

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी.
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी.
ॐ जय एकादशी…

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया.
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया.
ॐ जय एकादशी…

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी.
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी.
ॐ जय एकादशी…

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै.
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै.
ॐ जय एकादशी…

ये भी देखें: रमा एकादशी के दिन करें ये 5 शुभ काम, जानिए इसके अद्भुत लाभ

एकादशी माता कौन हैं?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी माता का जन्म स्वयं भगवान विष्णु के शरीर से हुआ था. कथा के अनुसार, एक बार जब भगवान विष्णु योग निद्रा में थे, तब ‘मुर’ नामक राक्षस ने उन पर आक्रमण करने की कोशिश की. तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई — वही थीं एकादशी माता. उन्होंने मुर राक्षस का वध कर भगवान विष्णु और सभी देवताओं की रक्षा की.

भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर एकादशी माता को वरदान दिया कि जो भी भक्त एकादशी के दिन व्रत करेगा और सच्चे मन से भक्ति करेगा, उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे, उसकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी. इसलिए रमा एकादशी के दिन व्रत, पूजा और भगवान विष्णु का ध्यान करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है. इस शुभ अवसर पर एकादशी माता की आरती और नामस्मरण से मन को दिव्य आनंद की अनुभूति होती है.



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