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Thursday, November 6, 2025
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हाथ-रिक्शा को बचाने के लिए सरकार करे पहल


ऑल बंगाल रिक्शा यूनियन ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर किया अनुरोध

संवाददाता, कोलकाताहाथ रिक्शा कोलकाता की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है. भले ही आज भी महानगर की सड़कों पर एक्का-दुक्का हाथ रिक्शा देखने को मिल जाये, लेकिन परिवहन का यह साधन अब खतरे में है. ऐसे में हाथ रिक्शा चालकों के संगठन ने अपने अस्तित्व के संकट को व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव मनोज पंत को एक पत्र लिखा कर इसे बचाने के लिए गुहार लगायी है. यह पत्र हाल ही में हाथ रिक्शा चालकों के संघ ऑल बंगाल रिक्शा यूनियन द्वारा भेजा गया था. पत्र में दावा किया गया है कि कोलकाता में वर्तमान में लगभग 6,000 हाथ रिक्शा चालक हैं.

उनका पेशा अब संकट में है. इस संबंध में मांग की गयी है कि उनके पेशे को तुरंत बढ़ावा दिया जाये और उनकी आय बढ़ाने के लिए नयी व्यवस्था की जाये. पत्र में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी जिक्र है. उस आदेश में, देश की सर्वोच्च अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को हाथ रिक्शा को ई-रिक्शा में बदलने का निर्देश दिया था. साथ ही, उनके आर्थिक विकास और छह महीने के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करने को कहा गया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल 25 अगस्त को महाराष्ट्र सरकार को इस फैसले को लागू करने को कहा था. इस मामले में, मुख्य सचिव से अनुरोध किया गया है कि वह कोई वैकल्पिक रास्ता निकालें और 6,000 रिक्शा चालकों और उनके परिवारों के लिए राज्य सरकार का साथ दें. संगठन की ओर से मुख्तार अली ने कहा कि हाथ रिक्शा कोलकाता की परंपरा है. हजारों लोगों की आजीविका इनसे जुड़ी है.

अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करती है, तो महानगर की परंपरा और इससे जुड़े लोग, दोनों बच जायेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है



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