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Sunday, November 16, 2025
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बिहार चुनाव नतीजों पर JMM का बड़ा बयान: ‘लोकतंत्र की हत्या, ऐसा जनादेश कभी नहीं देखा’; तेजस्वी पर भी निशाना साधा. लोकजनता


रांची/पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत और महागठबंधन की करारी हार के बाद अब राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. इसी क्रम में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने चुनाव नतीजों पर गंभीर सवाल उठाए हैं और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी कटाक्ष किया है.

झामुमो के महासचिव मो सुप्रियो भट्टाचार्य कहा कि यह जनादेश नहीं, बल्कि ‘जनादेश का अपमान’ है और इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया.

‘ऐसा जनादेश पहले कभी नहीं देखा’-JMM का चुनाव आयोग पर हमला

सुप्रियो भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग पर उठाया सीधा सवाल, कहा-

“हमने अपने जीवन में ऐसा जनादेश कभी नहीं देखा। यह जनभावना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान है। क्या आप लोगों ने कभी ऐसा दृश्य देखा है?”

जेएमएम के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मच गई है. विपक्ष पहले से ही ईवीएम, वोट ट्रांसफर और चुनाव प्रबंधन को लेकर सवाल उठा रहा है और अब जेएमएम का बयान इसे और हवा दे रहा है.

राजद-कांग्रेस-वामपंथी दलों पर तंज- ‘दर्द का अहसास नहीं’

सुप्रियो भट्टाचार्य यहीं नहीं रुके. उन्होंने राजद, कांग्रेस और वाम दलों पर भी निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि ये पार्टियां आदिवासी, दलित और शोषित समाज का दर्द समझने में नाकाम रही हैं.

उन्होंने व्यंग्यपूर्वक कहा:

“जिन्हें आदिवासी, दलित और शोषित समुदाय के दर्द का एहसास नहीं है वे लोगों के दिलों में जगह कैसे बनाएंगे?”

उनका बयान इस बात का सीधा संकेत था कि महागठबंधन की रणनीति जमीनी मुद्दों से दूर है.

महिलाओं के मुद्दों के नाम पर चुनाव आयुक्त पर सवाल

सुप्रियो ने महिलाओं के मुद्दे के बहाने चुनाव आयोग पर एक और हमला बोला.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र और पारदर्शी भूमिका निभानी चाहिए, लेकिन इस चुनाव में कई सवाल उठ रहे हैं.
हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर कोई टिप्पणी न करते हुए संकेतों में अपनी बात कही.

“तेजस्वी हारें तो ये मंत्र जपें”- शायराना अंदाज में JMM का कटाक्ष

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने पूछा कि अगर झामुमो गठबंधन में होता तो क्या स्थिति बदल सकती थी?
इस पर सुप्रियो भट्टाचार्य ने हल्के-फुल्के लेकिन तीखे अंदाज में कहा.

“अगर हम गठबंधन का हिस्सा होते तो हमें निश्चित तौर पर ताकत मिलती। तेजस्वी जी को हेमंत सोरेन के मंत्र ‘हारे का सहारा-हेमंत हमारा’ का जाप करना चाहिए। इससे उन्हें मदद मिल सकती है।”

उनके इस बयान पर मौजूद पत्रकार भी मुस्कुराए, लेकिन ये कटाक्ष एक राजनीतिक संदेश भी छोड़ गया.

झारखंड में राजद-झामुमो की दोस्ती, लेकिन बिहार में नहीं बन सकी ‘मीटिंग ग्राउंड’

गौरतलब है कि झारखंड में जेएमएम-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था और सत्ता भी साझा की थी.
बिहार चुनाव में भी इस गठबंधन को दोहराने की कोशिश की गई, लेकिन सीट बंटवारे पर नहीं बनी सहमतिजिससे यह प्रयास विफल हो गया।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर झामुमो महागठबंधन का हिस्सा होता तो कुछ सीटों पर समीकरण बदल सकते थे, लेकिन यह सिर्फ एक राजनीतिक संभावना है.


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