देहरादून: उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में फर्जी दस्तावेज बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद धामी सरकार ने पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है. इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को ‘जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ की शिकायतों की जांच करने के सख्त निर्देश दिए हैं.
सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य में किसी भी तरह की अवैध बंदोबस्ती और पहचान धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस कार्रवाई को राज्य में जनसांख्यिकीय बदलाव को रोकने की बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
क्या है बनभूलपुरा का मामला?
मामला दो दिन पहले शुरू हुआ, जब कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने हलद्वानी के बनभूलपुरा में एक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पर औचक छापा मारा। इस दौरान फैजान मकरानी नाम के युवक को कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज तैयार करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया.
आरोपों के मुताबिक इस सेंटर पर हिंदू समुदाय के लोगों के दस्तावेजों में हेरफेर कर उन्हें एक खास समुदाय की पहचान दी जा रही थी. यहां से फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज बनाने के गंभीर आरोप हैं। शुरुआती जांच में इस नेटवर्क में कुछ तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है.
सीएम धामी का सख्त रुख, प्रदेशभर में जांच के आदेश
बनभूलपुरा की घटना सामने आते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत गृह सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिये. सीएम ने कहा कि राज्य के कुछ स्थानों पर लोगों को अवैध रूप से बसाने और जनसांख्यिकीय परिवर्तन में खलल डालने की लगातार शिकायतें मिल रही थीं.
“देवभूमि में जो जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुए हैं उनकी जांच की जाएगी और जो परिवर्तन हो चुके हैं उन्हें भी ठीक किया जाएगा। बनभूलपुरा की घटना सामने आते ही सभी जिलाधिकारियों और एसपी को निर्देश जारी करने को कहा गया है।” -पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सभी जिलों के प्रशासन को संवेदनशील स्थानों पर सघन चेकिंग अभियान चलाने और फर्जी दस्तावेज बनाने वाले नेटवर्क के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है. सरकार का कहना है कि ऐसे बदलावों को ठीक करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे.
‘जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ पर सरकार सख्त
यह कार्रवाई उत्तराखंड में ‘जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ को लेकर सरकार की बढ़ती सतर्कता को दर्शाती है। सरकार का मानना है कि कुछ क्षेत्रों में संगठित तरीके से जनसांख्यिकीय बदलाव के प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे सामाजिक संतुलन बिगड़ सकता है. इसके तहत पहले सत्यापन अभियान चलाने की भी बात कही गई थी, जो अब इस घटना के बाद और तेज कर दी गई है.



