पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को करारी हार का सामना करना पड़ा है. चुनाव से पहले तेजस्वी यादव और महागठबंधन ने बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन नतीजों में सिर्फ 25 सीटें लेकिन यह सीमित ही रहा. यह आंकड़ा न सिर्फ पार्टी के लिए निराशाजनक है, बल्कि विपक्ष की भूमिका और प्रभाव पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है.
जानकारों के मुताबिक यह राजद के इतिहास की सबसे कमजोर स्थितियों में से एक है, जिसने पार्टी की रणनीति और नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े कर दिये हैं. चुनाव नतीजे यह भी दिखाते हैं कि जनता ने बदलाव के बजाय स्थिर शासन को प्राथमिकता दी है।
राय थी ‘तेजस्वी लहर’ – लेकिन जमीनी हकीकत ने स्थिति बदल दी.
चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, युवाओं की आकांक्षाओं और आर्थिक मुद्दों पर आक्रामक प्रचार किया. महागठबंधन कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि इस बार ‘तेजस्वी लहर’ होगी.
लेकिन नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया कि:
- जनता ने नहीं जताया महागठबंधन पर भरोसा
- राजद की जमीनी पकड़ हुई कमजोर
- और एनडीए की संयुक्त रणनीति कहीं ज्यादा कारगर साबित हुई.
25 पर क्यों अटकी है राजद? यहाँ मुख्य कारण हैं
1. संगठन की कमजोरी एवं आन्तरिक असन्तोष
कई क्षेत्रों से टिकट चयन को लेकर असंतुष्ट कार्यकर्ताओं और गुस्से की खबरें आईं।
2. सीट बंटवारे में कांग्रेस पर ज्यादा निर्भरता
कांग्रेस सिर्फ 6 सीटें जीत सकी, लेकिन सीट बंटवारे में उसे उम्मीद से ज्यादा हिस्सेदारी मिली, जिसका असर राजद पर पड़ा.
3. एनडीए की मजबूत सोशल इंजीनियरिंग
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली टीम ने जाति संतुलन और विकास के मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित किया।
4. रणनीति और मैसेजिंग में कमजोरी
तेजस्वी यादव की सभाओं में भीड़ तो हुई, लेकिन वोट में तब्दील नहीं हुई.
राजद के सिर्फ 25 जीते विधायक- पूरी लिस्ट
यह चुनाव राजद के लिए कठिन था, लेकिन इन 25 उम्मीदवारों ने कड़े मुकाबले जीतकर पार्टी की प्रतिष्ठा बचा ली।
| अनुक्रम | विधानसभा क्षेत्र (कोड) | विजयी उम्मीदवार |
|---|---|---|
| 1 | ढाका (21) | फैसल रहमान |
| 2 | बिस्फी (35) | आसिफ अहमद |
| 3 | रानीगंज (47) | अविनाश मंगलम |
| 4 | मधेपुरा (73) | चन्द्रशेखर |
| 5 | महिषी (77) | गौतम कृष्ण |
| 6 | पारू (97) | शंकर प्रसाद |
| 7 | रघुनाथपुर (108) | ओसामा शहाब |
| 8 | मढ़ौरा (117) | जीतेन्द्र कुमार राय |
| 9 | गरखा (119) | सुरेंद्र राम |
| 10 | परसा (121) | करिश्मे |
| 11 | राघोपुर (128) | तेजस्वी प्रसाद यादव |
| 12 | उजियारपुर (134) | आलोक कुमार मेहता |
| 13 | मोरवा (135) | रणविजय साहू |
| 14 | मटिहानी (144) | नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ ’बोगो सिंह’ |
| 15 | साहेबपुर कमाल (145) | सत्तानंद संबुद्ध उर्फ ’ललन जी’ |
| 16 | फतुहा (185) | डॉ रामानंद यादव |
| 17 | मनेर (187) | भाई बीरेंद्र |
| 18 | ब्रह्मपुर (199) | शंभू नाथ यादव |
| 19 | जहानाबाद (216) | राहुल कुमार |
| 20 | मखदुमपुर (218) | सूबेदार दास |
| 21 | इगुआना (219) | अमरेंद्र कुमार |
| 22 | बोधगया (229) | कुमार सर्वजीत |
| 23 | टिकारी (231) | अजय कुमार |
| 24 | वारिसलीगंज (239) | अनिता |
| 25 | चकाई (243) | सवित्री देवी |
राजद के पतन का असर-राजनीति में बदलते समीकरण
राजद की सीटों में भारी गिरावट भविष्य की राजनीति के लिए बड़ा संकेत है.
अब पार्टी पर-
- संगठन का पुनर्गठन,
- युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाना,
- जमीनी स्तर पर संचार को मजबूत करना,
- और रणनीति में व्यापक बदलाव करना होगा.
जानकारों का मानना है कि इस हार का असर लंबे समय तक देखने को मिलेगा.
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
नतीजों के बाद तेजस्वी यादव ने कहा:
“हम जनता के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन मुद्दों पर संघर्ष जारी रहेगा।”
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पार्टी को अब आत्ममंथन और संगठनात्मक सुधार की जरूरत है.
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