अमेरिकी ख़ुलासा, अलीबाबा चीनी सेना को गुप्त डेटा उपलब्ध करा रहा है: दुनिया की दो सबसे बड़ी ताकतों अमेरिका और चीन के बीच एक और नया विवाद खड़ा हो गया है. फाइनेंशियल टाइम्स (एफटी) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि व्हाइट हाउस के एक डी-क्लासिफाइड मेमो में चीनी कंपनी अलीबाबा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। दावा है कि अलीबाबा ने चीनी सेना (PLA) को ऐसी तकनीकी मदद मुहैया कराई, जिसका इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ किया जा सकता है. यह मामला अब वाशिंगटन में बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
अमेरिकी ख़ुलासा, अलीबाबा चीनी सेना को गुप्त डेटा उपलब्ध करा रहा है: डेटा, एआई और विशिष्ट खामियों के बारे में जानकारी दी गई
रिपोर्ट के मुताबिक, मेमो में कहा गया है कि अलीबाबा ने पीएलए को कई तरह की संवेदनशील वस्तुएं प्रदान कीं, जिनमें ग्राहक डेटा, आईपी पते और वाईफाई जानकारी, भुगतान रिकॉर्ड, एआई-संबंधित उपकरण और सॉफ्टवेयर कमजोरियां (शून्य-दिन) शामिल हैं जिनका उपयोग साइबर हमलों में किया जा सकता है। व्हाइट हाउस के मुताबिक ये सारी जानकारी अमेरिका की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है. एक अमेरिकी अधिकारी ने एफटी को बताया कि वे इस तरह के खतरों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और दिन-रात साइबर घुसपैठ को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि वे सभी सूचनाओं को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सकते हैं, लेकिन यह बड़ी चिंताओं के साथ फिट बैठता है कि चीनी क्लाउड और एआई कंपनियां सेना और सरकार के आदेश पर अपनी तकनीक का उपयोग करती हैं।
अलीबाबा की सफाई- ‘सब झूठ है’
अलीबाबा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. कंपनी ने कहा कि लेख में लगाए गए आरोप और आक्षेप बिल्कुल गलत हैं। एफटी ने खुद माना है कि वह इस जानकारी की पुष्टि नहीं कर सकता। यह किसी का दुर्भावनापूर्ण पीआर अभियान प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रपति ट्रम्प के हालिया व्यापार समझौते को निशाना बनाना है। अलीबाबा का कहना है कि यह मेमो किसी ‘शरारती आवाज ने लीक किया है, जिसका इरादा माहौल खराब करना है।’
चीन का पलटवार- ‘पूरी तरह निराधार’
वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने भी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका ने बिना किसी सबूत के मनमाने आरोप लगाए हैं. यह गैर-जिम्मेदाराना है और तथ्यों को पूरी तरह से गलत तरीके से पेश किया गया है।’ चीन इसका कड़ा विरोध करता है. इस पूरे मामले पर जब व्हाइट हाउस से टिप्पणी मांगी गई तो उसने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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