Defence Ministry: रक्षा मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति ने गुरुवार को डीआरडीओ की प्रमुख प्रयोगशाला ‘आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एआरडीई) का दौरा किया. यह प्रयोगशाला आर्मामेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग सिस्टम्स (एसीई) क्लस्टर के अंतर्गत आती है. इस अवसर पर समिति के सदस्यों ने क्लस्टर की विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित अत्याधुनिक उत्पादों का निरीक्षण किया, जिनमें एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम, पिनाका रॉकेट सिस्टम,लाइट टैंक ‘ज़ोरावर, व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म और आकाश-न्यू जेनरेशन मिसाइल प्रमुख हैं.
रक्षा मंत्री को रोबोटिक्स, रेल गन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम, हाई-एनर्जी प्रोपल्शन मटेरियल्स आदि क्षेत्रों में चल रहे अनुसंधान की जानकारी के साथ ही क्लस्टर के भविष्य की रूपरेखा भी प्रस्तुत की गयी. रक्षा मंत्री ने तकनीकी उन्नयन को केवल तकनीकी विषय न मानकर राष्ट्रीय मिशन के रूप में देखने पर बल देते हुए केवल तकनीक के उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि इसके निर्माता बनने पर जोर दिया.
आज का युग तकनीकी प्रभुत्व का युग है
बैठक को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तन को समझना और अपनाना समय की मांग है. आज का युग तकनीकी प्रभुत्व का है. जो देश विज्ञान और नवाचार को प्राथमिकता देगा, वही भविष्य का नेतृत्व करेगा. हमारी कोशिश केवल आत्मनिर्भरता हासिल करने की नहीं, बल्कि ऐसी संस्कृति विकसित करने की है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करें और भारत को वैश्विक रक्षा इनोवेशन केंद्र के रूप में स्थापित करें. डीआरडीओ की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि संगठन ने ऐसी तकनीकें विकसित की हैं जो पहले आयात पर निर्भर थी और अब वह विश्व स्तर पर उभरती रक्षा प्रौद्योगिकियों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा डीआरडीओ, उद्योग, शिक्षा संस्थान और स्टार्ट-अप्स मिलकर एक नए रक्षा अनुसंधान एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे है.
इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार, डीआरडीओ अध्यक्ष एवं रक्षा अनुसंधान सचिव डॉ. समीर वी. कामत और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.



