फोटो 2 राजकीय कृत मध्य विद्यालय बघिनी मोहनिया सदर. प्रखंड अंतर्गत पंचायत मुख्यालय बघिनी में अवस्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय बघिनी में पढ़ने वाले बच्चे लंबे समय से कमरों की कमी का दंश झेल रहे हैं. इस समस्या को लेकर विद्यालय के प्रधानाचार्य काशी प्रसाद ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर विद्यालय में पठन पाठन दो शिफ्ट में कराने की गुहार लगायी है. आवेदन में प्रधानाचार्य ने लिखा है कि विद्यालय में पठन-पाठन के लिए कुल 15 वर्ग कक्ष की आवश्यकता है, छात्र-छात्राओं को बैठने की जगह नहीं होने के कारण बरामदे व खुले मैदान में बैठना पड़ता है. बरसात व गर्मी के दिनों में विद्यालय में बैठने के लिए अफरातफरी का माहौल हो जाता है, इस कारण विद्यालय के संचालन में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे शैक्षिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं. वर्ग एक से पांच तक के सभी 310 छात्र-छात्राएं कभी-कभी खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं. बारिश के मौसम में भी विद्यालय प्रांगण में खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिससे नीचे गीली जमीन और आसमान में कड़कती आकाशीय बिजली से बच्चों में भय बना रहता है, जब बारिश आती है तो बच्चों को बरामदे का सहारा लेना पड़ता है. इससे बरामदे में बैठकर पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई तो बाधित होती ही है साथ ही इन बच्चों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विद्यालय में कमरों की समस्याओं को लेकर पदाधिकारियों को पूर्व में अवगत कराया गया है. प्रत्येक माह में विद्यालय में कमरों की कमी और शिक्षकों के अभाव की लिखित शिकायत भी वरीय पदाधिकारी को देने के बावजूद इसमें कोई रुचि नहीं ला जा रही हैं. प्रधानाध्यापक द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिये गये अपने आवेदन में लिखा गया है कि विद्यालय को कक्षा एक से पांच तक के 310 बच्चों के लिए सुबह 6:30 से दोपहर 11 बजे तक व वर्ग 06 से 08 तक 314 बच्चों के पठन-पाठन का समय दोपहर 11:30 से शाम 4:30 बजे तक किया जाये, जिससे अच्छी तरह बच्चों के पठन-पाठन का कार्य सुचारू रूप से चलाया जा सके. प्रधानाचार्य द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी से गुहार लगायी गयी है कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए विद्यालय को दो शिफ्ट में संचालित करने की अनुमति प्रदान की जाये. # छह कमरों में सिमट कर रह गया है विद्यालय उक्त विद्यालय में कमरों की कुल संख्या छह है, जिसमें सभी वर्ग के बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. बच्चों की संख्या अधिक और कमरों की संख्या कम होने के कारण इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विद्यालय में कुल नामांकित बच्चों की संख्या 624 है. जबकि, ऐसा भी नहीं है कि कमरों का निर्माण करने के लिए विद्यालय के पास भूमि उपलब्ध नहीं है. भूमि उपलब्ध रहने के बावजूद विभाग कमरों का निर्माण कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा है. यदि विद्यालय में दस कमरों का निर्माण करा दिया जाये, तो खुले आसमान के नीचे बैठकर पठन-पाठन जैसी समस्या का समाधान हो जाता. 1959 में गांव के ही श्रीपत तिवारी द्वारा विद्यालय निर्माण के लिए भूमि को दान में दिया गया था, उनकी यह सोच थी कि उनके गांव में विद्यालय का निर्माण हो जिससे सभी वर्ग के बच्चे शिक्षित हो सके. # बघिनी पंचायत के हैं मंत्री व विधायक जिस पंचायत मुख्यालय बघिनी में अवस्थित विद्यालय कमरों की इतनी भारी कमी का दंश झेल रहा है, विडंबना तो यह है कि इसी गांव के संतोष कुमार सिंह बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री हैं. वहीं, दूसरी तरफ इसी पंचायत की संगीता कुमारी सरकार में विधायक भी है. इसके बावजूद विद्यालय में कमरों की कमी का होना एक गंभीर विषय है. प्रधानाध्यापक काशी प्रसाद ने बताया कि विद्यालय की समस्याओं को लेकर वरीय पदाधिकारियों के साथ मंत्री संतोष कुमार सिंह व विधायक संगीता कुमारी को भी लिखित आवेदन देकर गुहार लगाया जा चुका है, लेकिन अभी तक विद्यालय में आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी है. कमरों के अभाव में किसी भी मौसम में हमारे बच्चे व शिक्षक जान हथेली पर लेकर खुले आसमान के नीचे पठन-पाठन करने को मजबूर हैं. बच्चों के भविष्य को लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी कोई ठोस कदम उठाता नजर नहीं आ रहा है. # राजकीयकृत मध्य विद्यालय बघिनी में कमरों की कमी का दंश झेल रहे बच्चे व शिक्षक प्रधानाचार्य ने डीइओ को पत्र लिखकर दो शिफ्ट में विद्यालय संचालन की मांगी अनुमति
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