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Friday, November 14, 2025
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जीएसटी कटौती का बड़ा असर, थोक महंगाई दर माइनस में गिरी


डब्ल्यूपीआई: देश में महंगाई से परेशान लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर (WPI) न सिर्फ घटी बल्कि माइनस में पहुंच गई. इसका मतलब है कि अब कई जरूरी चीजों के दाम पहले से कम हो रहे हैं. खासतौर पर सब्जियां, दालें और ईंधन जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजों की कीमतें कम की गई हैं। सरकार के ताजा आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि बाजार में राहत का दौर शुरू हो सकता है, जिससे आम लोगों की जेब पर कम बोझ पड़ेगा और त्योहारी सीजन में खर्च करने का मौका भी मिलेगा.

WPI में गिरावट क्यों आई?

भारत में अक्टूबर महीने में थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर यानी WPI गिरकर -1.21 फीसदी पर आ गई है. इसका मतलब है कि बाजार में सामानों की कीमतें पहले से कम हो गई हैं. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया कि खाद्य पदार्थों, ईंधन और कई तरह के विनिर्मित सामानों की कीमतों में गिरावट आई है. इससे आम जनता को कुछ राहत महसूस हो सकती है.

कहां गिरीं कीमतें सबसे ज्यादा?

खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. खासकर दाल, सब्जी, प्याज और आलू की कीमतों में काफी गिरावट आई है. सब्जियों में करीब 35 फीसदी की कमी आई है, जबकि प्याज की कीमतों में 65 फीसदी की गिरावट आई है. दालों में भी 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। ईंधन और बिजली जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी गिरावट आई है, जिससे थोक बाजार में कुल कीमतें कम हो गई हैं।

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क्या जीएसटी कटौती का कोई असर पड़ा है?

सरकार ने हाल ही में कई रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी कम कर दिया था. पहले 4 स्लैब थे, जिन्हें घटाकर सिर्फ 5 और 18 फीसदी के दो स्लैब कर दिया गया. इससे दुकानों पर सामान की कीमतें कम हो गईं और बाजार में मंदी जैसा माहौल बन गया. इसके अलावा पिछले साल का महंगा बेस भी इस बार महंगाई को और कम कर रहा है।

ग्राहकों की जेब पर क्या होगा असर?

WPI के साथ-साथ खुदरा महंगाई दर यानी CPI भी अक्टूबर में 0.25 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है। जब दोनों तरह की महंगाई कम होती है तो उम्मीद बढ़ जाती है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले समय में ईएमआई और लोन सस्ते हो सकते हैं, जिससे युवाओं और आम लोगों दोनों को आर्थिक राहत मिल सकती है।

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