बोकारो से जय सिन्हा
बोकारो: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के दिशानिर्देशानुसार भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाने के उद्देश्य से दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), बोकारो में जनजातीय गौरव पखवाड़ा (01-15 नवंबर 2025) का भव्य आयोजन किया जा रहा है.
भारत के जनजातीय समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को श्रद्धांजलि देने के प्रयास में स्कूल में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गुरुवार को आयोजित शैक्षणिक भ्रमण, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सामुदायिक भोज सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से स्कूली बच्चों को आदिवासी संस्कृति से अवगत कराया जा रहा है।
सांस्कृतिक समावेशन की इस श्रृंखला में सीनियर विंग के विद्यार्थियों ने रांची स्थित ऑड्रे हाउस एवं ट्राइबल म्यूजियम का शैक्षणिक भ्रमण किया. आप यह खबर झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। जहां ऑड्रे हाउस ने ब्रिटिश काल की वास्तुकला का प्रदर्शन करते हुए औपनिवेशिक इतिहास का परिचय दिया, वहीं जनजातीय संग्रहालय ने बच्चों को झारखंड के आदिवासी समुदायों की विविध जीवन शैली, परंपराओं और कलात्मक विरासत की गहरी समझ दी।
छात्रों ने पारंपरिक उपकरणों, शिकार के हथियारों, घरेलू शिल्प, संगीत वाद्ययंत्रों और आभूषणों की प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। उन्होंने आदिवासी त्योहारों, नृत्य शैलियों, कृषि तकनीकों, उनकी मान्यताओं और प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध के बारे में जानकारी प्राप्त की। इसी क्रम में भगवान बिरसा मुंडा द्वारा जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए शुरू किये गये आंदोलन पर आधारित एक नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया.
वहीं गुरुवार को प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार के मार्गदर्शन में विद्यालय के सीनियर विंग में एक भव्य सामुदायिक भोज का आयोजन किया गया। इसमें झारखंड के आदिवासी समुदाय सहित दर्जनों लोगों ने भाग लिया और झारखंड के पारंपरिक व्यंजन धुस्का, साग, चना सब्जी, भात, मिठाई आदि का आनंद लिया. प्राचार्य डॉ. गंगवार ने वरिष्ठ शिक्षकों के साथ स्वयं भोजन परोसा और लोगों को खिलाया.
यहां प्राथमिक इकाई में बहुआयामी गतिविधियां भी आयोजित की गईं। इसकी शुरुआत प्रेरणादायक सत्रों से हुई जहां छात्रों ने भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष, नेतृत्व और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर आधारित एक फिल्म देखी। जनजातीय संस्कृति और राष्ट्रीय योगदान पर आधारित प्रश्नोत्तरी और निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं।
युवा शिक्षार्थियों ने जीवंत लोक चित्रों, विशेष रूप से झारखंड के आदिवासी कला रूपों से प्रेरित कलाकृतियों के माध्यम से अपनी रचनात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। छात्रों ने मनमोहक झारखंड लोक नृत्य प्रस्तुति से माहौल को सराबोर कर दिया, जिसमें आदिवासी जीवन की शक्ति और लय प्रतिबिंबित थी। अगली श्रृंखला में 14 नवम्बर को जनजातीय गृह भ्रमण एवं पुष्पांजलि आदि कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी सेनानियों का योगदान अमूल्य: डॉ. गंगवार
स्कूल के प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार ने कहा कि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए इस तरह का सांस्कृतिक समावेश और शिक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। स्वतंत्रता संग्राम में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा एवं अन्य आदिवासी सेनानियों की अग्रणी भूमिका अमूल्य है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह महोत्सव सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि राष्ट्र की स्वदेशी जड़ों में गर्व की भावना पैदा करने का एक सचेत प्रयास है। उन्होंने यह भी कहा कि सामुदायिक भोज जैसे आयोजनों से बच्चों में आपसी प्रेम, सौहार्द, सहयोग एवं पारिवारिक एकता की भावना मजबूत होती है।



