Dhanteras 2025: धनतेरस का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देव की विशेष पूजा का विधान होता है. लोग इस शुभ अवसर पर सोना, चांदी या नए बर्तन खरीदकर समृद्धि का स्वागत करते हैं.
धनतेरस पर कितने दीप जलाने चाहिए
धनतेरस के दिन दीप जलाने का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन कुल 13 दीए जलाना शुभ फल देने वाला होता है. परंपरा के अनुसार, सबसे पहला दीया घर के बाहर कचरे या किसी कोने के पास जलाया जाता है. यह दीया दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है और इसे यमराज के नाम का दीया कहा जाता है.
किस दिशा में जलाएं दीप
धनतेरस पर दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाना शुभ माना जाता है. इसे यमराज का दीपक कहा जाता है. ऐसा करने से अकाल मृत्यु का डर कम होता है और पूरे परिवार की आयु लंबी होती है. इसके साथ ही, घर में मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए दीपक उत्तर दिशा में भी जलाया जा सकता है.
इन स्थानों पर जलाना चाहिए दीपक
बाकी 12 दीप घर के अलग-अलग स्थानों पर जलाए जाते हैं — जैसे मुख्य द्वार, तुलसी के पौधे के पास, छत, पीपल के पेड़ के नीचे, नजदीकी मंदिर, कूड़ेदान के पास, बाथरूम और खिड़की के पास. कहा जाता है कि इन 13 दीयों से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है.
इसलिए जलाते हैं यम का दीपक
धनतेरस की शाम जो पहला दीप जलाया जाता है, उसे यम दीप कहा जाता है. इस दीप को जलाने की परंपरा भाई दूज तक चलती है, यानी इसे पाँच दिनों तक जलाए रखना शुभ माना जाता है. यम दीप का मुख हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि यही दिशा यमराज की मानी गई है. इस दीप को जलाते समय लोग यमराज से लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं. ऐसा भी विश्वास है कि यह दीप नरक के द्वार बंद कर देता है और मृत्यु के बाद मुक्ति प्रदान करता है. साथ ही, यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है.
धनतेरस पर दीपक किस दिशा में रखना चाहिए?
पहला दीप हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाना चाहिए. बाकी के दीए घर के मुख्य द्वार, तुलसी के पौधे के पास, छत, पीपल के पेड़ और मंदिर के पास रख सकते हैं.
यम दीप को कितने दिन तक जलाना चाहिए?
यम दीप को धनतेरस से भाई दूज तक यानी लगभग 5 दिन तक लगातार जलाए रखने की परंपरा है.
दीपक जलाने का क्या महत्व है?
दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, अकाल मृत्यु का भय टलता है और यमराज की कृपा प्राप्त होती है.
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