बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन, बांग्लादेश में एक बार फिर हंगामे की आहट सुनाई देने लगी है. ये सिर्फ आहट नहीं है बल्कि पुख्ता तैयारी की जा रही है. बांग्लादेशी छात्र समुदाय एक बार फिर गुस्से में है. वही ताकत जिसने कुछ महीने पहले देश के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया था. ढाका से लेकर चटगांव तक देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में गुस्सा फूट पड़ा है. मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कथित तौर पर इस्लामी समूहों के दबाव में स्कूलों से संगीत और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद समाप्त कर दिए हैं। इसके बाद व्यापक विरोध खड़ा हो गया है.
यूनुस सरकार के आदेश के बाद छात्र मशाल लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. ढाका की सड़कों पर नारे लग रहे हैं, “आप स्कूलों से संगीत मिटा सकते हैं, लेकिन दिलों से नहीं।” इन प्रदर्शनों को बांग्लादेश की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है. ढाका के कई इलाकों में विस्फोट, झड़प और लॉकडाउन की खबरें आई हैं, जिससे देश में अशांति का माहौल गहरा गया है. इस विरोध को सिर्फ एक प्रशासनिक फैसले के खिलाफ नहीं बल्कि यूनुस की अंतरिम सरकार की नीतियों में बढ़ती इस्लामीकरण की प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापक असहमति का प्रतीक माना जा रहा है।
इस बढ़ते गुस्से के बीच पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस पर लोकतंत्र को दबाने और उनकी सरकार में कट्टरपंथियों का मुखौटा बनने का आरोप लगाया है. हसीना के मुताबिक, मौजूदा अंतरिम प्रशासन सांप्रदायिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी ताकतों के प्रभाव में है, जिन्होंने सरकार में घुसपैठ कर ली है। आज 13 नवंबर को ही सुप्रीम कोर्ट हसीना सरकार के खिलाफ अपने फैसले की तारीख का ऐलान करने जा रहा है. उन पर छात्र आंदोलन के दौरान नरसंहार का आरोप है. आरोप है कि पिछले साल इन आंदोलनों में एक हजार से ज्यादा छात्र मारे गए थे. इस आंदोलन के बाद हसीना को 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश से भागना पड़ा।
विडंबना यह है कि वही छात्र आंदोलन जो अब यूनुस की सरकार के खिलाफ भड़क रहा है, वही ताकत थी जिसने कुछ महीने पहले शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसके बाद छात्रों ने हसीना की सत्तावादी नीतियों और जवाबदेही की कमी के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया, जिसके कारण अंततः उन्हें सत्ता से गिरना पड़ा और यूनुस को अंतरिम मुख्य सलाहकार बनाया गया। उस समय पश्चिमी देशों और बांग्लादेशी नागरिक समाज के कई वर्गों ने इस कदम का स्वागत किया था.
लेकिन अब हालात बदल गए हैं. जैसे-जैसे ढाका और देश के अन्य हिस्सों में विरोध की आग फैल रही है, वही युवा जो कभी बदलाव के लिए हसीना के खिलाफ उतरे थे, अब यूनुस की नीतियों से असंतुष्ट हैं और उनके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। ढाका में राजनीतिक तनाव के कारण कई इलाकों में आगजनी और देसी बम विस्फोट की घटनाएं सामने आई हैं. यूनुस सरकार ने इन हिंसक घटनाओं के लिए अवामी लीग समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है. प्रदर्शनकारियों ने ब्राह्मणबरिया में मोहम्मद यूनुस के ग्रामीण बैंक की एक शाखा में आग लगा दी, जिसमें फर्नीचर और दस्तावेज पूरी तरह जलकर राख हो गए. कई जगहों पर क्रूड बम विस्फोट की भी खबरें आई हैं.
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