रामनगर. अगर आप उत्तराखंड घूमने का प्लान बना रहे हैं तो जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जाना न भूलें क्योंकि करीब सात साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हाथी सफारी शुरू होने की संभावना है। इसके साथ ही पर्यटक अब वॉच टावर से जंगल और वन्यजीवों का दीदार कर सकेंगे. यह पर्यटकों को पार्क की जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने का एक और रोमांचक अवसर प्रदान करेगा।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि ढिकाला जोन के साथ ही अलग-अलग जोन में बने चैंबरों में रात्रि विश्राम की सुविधा भी 15 नवंबर से शुरू हो जाएगी. उन्होंने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने की उम्मीद है, लेकिन इस बार का सीजन खास होगा क्योंकि सात साल बाद पर्यटक फिर से हाथियों की पीठ पर सवार होकर जंगल की सैर का आनंद ले सकेंगे.
उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि इस सीजन में पर्यटक हाथी सफारी का रोमांच अनुभव कर सकें और वॉच टावर के ऊपर से जंगल और घास के मैदानों का नजारा देख सकें. इससे लोग कॉर्बेट के वास्तविक प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से महसूस कर सकेंगे. गौरतलब है कि साल 2018 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का हवाला देते हुए पार्क में हाथियों के व्यावसायिक उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद हाथी सफारी पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। इसके बाद से पर्यटन कारोबारी, स्थानीय गाइड और वन्यजीव प्रेमी लगातार इस फैसले की समीक्षा की मांग कर रहे हैं, ताकि संवेदनशील तरीके से हाथियों के साथ सफारी को फिर से शुरू किया जा सके.
स्थानीय निवासी गणेश रावत ने कहा कि यह पहल बेहद सराहनीय है. हाथी सफारी और वॉच टावर की सुविधा से पर्यटन गतिविधियों को नई ऊर्जा मिलेगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि हाथी सफारी एक अनूठा अनुभव है जिसमें मशीनों की आवाज़ के बिना जंगल की गहराई में प्रकृति की वास्तविक धड़कन का एहसास होता है। वॉच टावर से जानवरों को बिना परेशान किए देखना बहुत रोमांचक है। पार्क प्रशासन का मानना है कि इससे न सिर्फ पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.



