धर्म डेस्क. सनातन धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व माना जाता है। इस साल यह पवित्र त्योहार 12 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति से भगवान काल भैरव की पूजा करने और भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाने वाली काल भैरव जयंती पर भक्त विशेष रूप से जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और दुग्धाभिषेक करते हैं। कहा जाता है कि इससे भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और साधक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
अगर आप भी भगवान शिव और काल भैरव की कृपा पाना चाहते हैं तो इस जयंती पर अपनी राशि के अनुसार नीचे बताए गए द्रव्यों से भगवान शिव का अभिषेक करें।
राशि के अनुसार अभिषेक सामग्री
मेष – गंगा जल में शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
वृषभ – गाय के कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें।
मिथुन – गंगाजल में बेलपत्र मिलाकर महादेव का अभिषेक करें।
कर्क राशि – स्नान-ध्यान के बाद भगवान शिव का शुद्ध घी से अभिषेक करें।
सिंह राशि – गंगाजल में सुगंध मिलाकर भगवान शंकर का अभिषेक करें।
कन्या राशि – गंगा जल में दूर्वा मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
तुला – शुद्ध दही से महादेव का अभिषेक करें।
वृश्चिक – गंगा जल में मिश्री मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
धनु – भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करें।
मकर – गंगा जल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
कुम्भ – शमी के पत्तों को गंगा जल में मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
मीन राशि – गंगाजल में मदार के पत्ते मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
इस प्रकार राशि के अनुसार किया गया अभिषेक जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और शुभ फल प्रदान करता है। भगवान काल भैरव और महादेव की कृपा से भक्त के सभी दुख, भय और बाधाएं दूर हो जाती हैं।



