मेकॉन रांची सम्मेलन, रांची: आधुनिक इस्पात निर्माण प्रक्रियाओं में दक्षता बढ़ाने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 11 और 12 नवंबर 2025 को मेकॉन, रांची में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन का आयोजन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), झारखंड राज्य केंद्र द्वारा मेकॉन के सहयोग से किया जा रहा है। यह कार्यक्रम केंद्रीय इस्पात मंत्रालय द्वारा समर्थित है। सम्मेलन का उद्देश्य इस्पात निर्माण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), स्वचालन और नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से उत्पादन को अधिक कुशल और पर्यावरण अनुकूल बनाना है।
देश की इस्पात क्षमता में तेजी से बढ़ोतरी
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत की कच्चे इस्पात उत्पादन क्षमता 200 मिलियन टन तक पहुंच गई है। पिछले पांच वर्षों में इस्पात उत्पादन क्षमता में 10 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि तैयार इस्पात की खपत में सालाना 12 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि केंद्रीय नीतियों, बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और घरेलू मांग के कारण संभव हुई है। राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत भारत का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक इस्पात उत्पादन क्षमता को 300 मिलियन टन तक बढ़ाना है।
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पर्यावरण की चिंता एक बड़ी चुनौती बन गयी है
सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया जाएगा कि सिर्फ उत्पादन क्षमता बढ़ाना समाधान नहीं है, बल्कि मौजूदा संयंत्रों की दक्षता बढ़ाकर उत्पादन में सुधार करने की जरूरत है. कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरणीय जिम्मेदारी अब उद्योग की सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है।
‘आत्मनिर्भरता के लिए समन्वय’ पर विशेष सत्र
सम्मेलन में एक विशेष सत्र “आत्मनिर्भरता के लिए सिनर्जी” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बड़ी कंपनियों और छोटे इस्पात निर्माताओं को एक साथ जोड़ने की पहल की जाएगी, ताकि जरूरतों और चुनौतियों को समझकर समाधान खोजा जा सके।
सम्मेलन में किन प्रमुख विषयों पर होगी चर्चा?
- टिकाऊ इस्पात उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक
- कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए नई तकनीकों पर शोध
- इस्पात निर्माण में हाइड्रोजन के उपयोग की संभावनाएँ
- आत्मनिर्भर भारत के लिए सहयोग का रोडमैप
इसमें देश-विदेश के शीर्ष अधिकारी भाग लेंगे
इस सम्मेलन में संयुक्त सचिव (इस्पात मंत्रालय), गेल के निदेशक के साथ-साथ राउरकेला और दुर्गापुर स्टील प्लांट के निदेशक सहित इस्पात क्षेत्र के प्रमुख संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की इस्पात कंपनियों के प्रतिनिधि, विदेशी विशेषज्ञ, प्रौद्योगिकी प्रदाता, शोधकर्ता, शिक्षाविद और तकनीकी सलाहकार भी उपस्थित रहेंगे। यह सम्मेलन प्रतिभागियों को उद्योग विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने, ज्ञान साझा करने और नई संभावनाओं पर सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
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